आमों का कमाल

एक दिन गोना के तहसीलदार श्री राले ने तीन सौ आमों की एक पेटी बाबा के चरणों में शामा के पते पर शिरडी भेजी| शामा वह पेटी बाबा के पास ले गया और बाबा के सामने खोली| सभी आब अच्छे थे| बाबा के उन आमों में से चार आप अलग निकालकर इस ताकीद के साथ रख दिये कि दामू अण्णा के लिये हैं - और बाकी आम भक्तों के बांटने के लिए शामा को दे दिए|

लगभग दो घंटे बाद जब दामू अण्णा बाबा का पूजन करने के लिए मस्जिद आये तो बाबा ने उन्हें प्रसाद रूप में चार आम यह कहकर दिए कि इन्हें अपनी पत्नी को दे देना| दामू अण्णा संतान न होने के कारण बहुत निराश रहते थे| उन्होंने तीन शादियां की थीं, परंतु संतान की इच्छा फिर भी पूरी नहीं हो सकी| उन्होंने इसके लिए बहुत उपाय भी किये थे| लेकिन साईं बाबा के प्रति उनके मन में गहरी श्रद्धा थी| वे पुरे भक्तिभाव से बाबा की सेवा किया करते थे|

जब वे मस्जिद से आम लेकर जाने लगे तो उन्होंने बाबा से पूछा - "बाबा ! ये आम बड़ी को दूं या छोटी को?" बाबा ने जवाब दिया - "अपनी सबसे छोटी पत्नी को देना| उसे चार लड़के और चार लड़कियां कुल मिलाकर आठ बच्चे होंगे|" दामू अण्णा ने बाबा की आज्ञा अनुसार वे आम अपनी सबसे छोटी पत्नी को खाने को दिए और बाबा के आशीर्वाद से उन्हें आठ बच्चे हुए|


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