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महाराष्ट्र के नासिक स्थित भद्रकाली मंदिर प्रधान 51 शक्तिपीठों में से एक और हिन्दू श्रद्धालुओं का प्रमुख तीर्थ स्थल है. पुरानों में वर्णित कथाओं के अनुसार अपने पिता प्रजापति दक्ष के यज्ञ में अपने पति भगवान शिव को अपमानित होते देख माता सती ने जब अपने शरीर को योगाग्नि द्वारा भस्मीभूत कर लिया तो त्रिकालदर्शी शिव अत्यंत क्रोधित हो गए और माता सती के मृत शरीर को अपने कंधे पर लेकर सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड भ्रमण करने लगे. तब भगवती सती के शरीर से ठुड्डी नासिक के इसी पवित्र स्थान पर गिर पड़ी थी और देवी सती यहां शक्ति के रूप में स्थापित हो गई. यहां भगवती देवी भ्रामरी रूप में जबकि भगवान भोलेनाथ विकृताक्ष भैरव के रूप में प्रतिष्ठित हैं. माता के इस मंदिर में शिखर नहीं है. यहां पर नवदुर्गा की मूर्तियां हैं और उनके मध्य में भद्रकाली की ऊंची मूर्ती है. माता के इस प्रसिद्ध शक्तिपीठ भद्रकाली मंदिर में माता के दर्शन-पूजन का बड़ा महत्व है. मान्यताओं के अनुसार यदि माता किसी भक्त को अपने इस दरबार में बुलाती है तो वह चुम्बक की तरह खींचे चला आता है और यदि कोई यहां श्रद्धापूर्वक माता के आगे शीश झुकता है तो उसपर सदैव माता की कृपा बनी रहती है. |