"जिस प्रकार बूंद बूंद निरंतर झरते अभिषेक से देवता प्रसन्न होते है ; उसी प्रकार भक्ति भी रोज़ बूंद बूंद यानी थोड़ी थोड़ी किसी भी रूप में नियमित रूप से करें . ये ना हो के एक दिन तो बहुत सारी पूजा कर ली फिर कई दिन तक कुछ भी नहीं . भक्ति मार्ग पर वह आगे निकल जाता है जो कछुए की तरह धीरे ही सही पर निरंतर चलता रहता है " More