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Hanuman Jayanti~हनुमान जयंती



Hanuman Jayanti


हिंदू मान्यताओं के अनुसार, हनुमान जी को शक्ति, गुणवत्ता और ज्ञान के देवता के रूप में देखा जाता है। उन्हें श्री राम के 'परम भक्त' के रूप में जाना जाता है और वह भगवान शिव की अभिव्यक्ति है। हनुमान जी का जन्म चैत्र शुक्ल पूर्णिमा (चैत्र शुक्ल पूर्णिमा हिंदू कैलेंडर माह चैत्र के पूर्णिमा का दिन) के दिन केसरी और अंजनी के यहाँ हुआ थे, यही कारण है कि उन्हें 'केसरी नंदन' और 'अनेजन्य' के नाम से भी जाना जाता है। महाकाव्य रामायण का दर्शन श्री राम के लिए भगवान हनुमान की अथाह भक्ति की गाथा के बिना अधूरा है। जैसा कि हिंदू पौराणिक कथाएं बताती हैं कि वह भगवान शिव का अवतार थे, जो हिंदू त्रिमूर्ति के तीसरे देवता हैं और यह सारा ब्रह्मांड भगवान शंकर की ही महिमा से है। 

भगवान् हनुमान को हिंदू देवता 'वरुण' (वायु देव) का पुत्र माना जाता है। वैदिक शास्त्र और नैतिक ज्ञान प्राप्त दिलाने के लिए उन्हें भगवान सूर्य के पास 'वायुदेव' द्वारा ले जाया गया था। उन्होंने अपनी पूरी शिक्षा भगवान सूर्य से प्राप्त की, क्योंकि सूर्यदेव को इस पृथ्वी ग्रह पर सर्वज्ञ माना जाता था।

हनुमान जयंती का महत्व

हनुमान जयंती या हनुमत जयंती समारोह हिंदू कैलेंडर के अनुसार चैत्र मास के शुक्‍ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को और ग्रेगोरियन कैलेंडर के मुताबिक हनुमान जयंती हर साल मार्च या अप्रैल महीने में मनाई जाती है। हनुमान जोकि भारतीय महाकाव्य रामायण के नायको में से एक है। हनुमान जयंती चैत्र चंद्र महीने के समय मनाई जाती है इस दिन कई हिंदू मंदिरो में आध्यत्मिक प्रवचन व कार्यक्रम आयोजित किये जाते है। इस उत्सव को हिंदुओं द्वारा और विशेष रूप से हनुमान भक्तों द्वारा बड़े हर्षोउल्लास के साथ मनाया जाता है। हनुमान जी की विभिन्न कथाओं का हनुमान जयंती के उत्सव के दिन स्मरण किया जाता है।

उपवास और उपासना प्रक्रिया

1. इस व्रत में भक्तो द्वारा, तातकालिक तीर्थ (रत्विरपिनि) को जाया जाता है।

2. रात्रि विश्राम से पहले, राम-सीता और हनुमान को याद कर फर्श पर सोया जा सकता है।

3. सुबह जल्दी उठने के बाद, एक बार फिर राम-सीता और हनुमान को याद करें।

4. सुबह जल्दी उठने के पश्चात स्नान करें।

5. अब, हाथ में जल लेकर व्रत का संकल्प लें।।

6. उसके बाद पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठें, भगवान हनुमान की मूर्ति या तस्वीर वहां स्थापित करें। ध्यान रहे कि बैठते समय मुख पूर्व या उत्तर की ओर रहना चाहिए।

7. भगवान हनुमान से अति विनम्र तरीके से प्राथर्ना करें।

8. इसके अलावा, षोडशोपचार (16 अनुष्ठानों) का पालन निर्देशित रीति-रिवाज के अनुसार करें।


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In Hindu folklore, Hanuman ji is seen as a god of strength, quality and knowledge. He is known as the 'ultimate devotee' of Shri Ram and is an expression of Lord Shiva. He was born to Kesari and Anjani for Chaitra Shukla Purnima (Chaitra Shukla Purnima day of Hindu calendar month of Chaitra), which is why he is also known as ‘Kesari Nandan’ and ‘Anejanya’. The philosophy of the epic Ramayana is incomplete without understanding of the immense devotion of Lord Hanuman to Sri Rama. As Hindu mythology states that he was the incarnation of Lord Shiva, the third deity of the Hindu trinity, the whole universe is from the glory of God.

Lord Hanuman is considered to be the son of the Hindu deity 'Vayudev' (wind). He was taken by 'Vayu' to Lord Surya to gain Vedic scripture and moral knowledge. He received his full education from Lord Surya, as he was considered omniscient on this earth planet.

Importance of Hanuman Jayanti

Hanuman Jayanti or Hanumath Jayanti celebrations are celebrated on Chaitra Shukla Purnima according to the Hindu calendar and Hanuman Jayanti every year in the month of March or April according to the Gregorian calendar which is one of the heroines of the Indian epic Ramayana. Hanuman Jayanti is observed during Chaitra lunar month where spiritual discourses and programs are organized in many Hindu temples. This festival is celebrated with great enthusiasm by Hindus and especially by Hanuman Devotees. Various aspects of Hanuman ji are remembered on the day of Hanuman Jayanti.

Fasting and Worship Process

1. In this fast, Tatalik Tirtha (Ratvirpini) is taken.

2. Before the night rest, sleep on the floor remembering Rama-Sita and Hanuman.

3. After waking up early in the morning, remember Rama-Sita and Hanuman once again.

4. Take a bath after waking up early in the morning.

5. Now, take a pledge with water in your hand.

6. After that sit facing east direction, install the idol or picture of Lord Hanuman there. While sitting, face east or north.

7. Pray to Lord Hanuman in the most humble way.

8. Also, follow each custom of the Shodashopachara (16 rituals).

 
 
 
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Festival SMS

Ram jinka naam hai ayodhya jinka dham aise raghunanadan ko hamara pranam hai.

 
 
 
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