इस पूर्णिमा को मंगलवार और ज्येष्ठ नक्षत्र हो तो ज्यादा फल मिलता है. सरसों मिले हुए जल से स्नान करें. बिल्ब वृक्ष (बील का बेल) की गंध पुष्प आदि से पूजा करें. एक समय भोजन करें. भोजन को कुत्ता, सूअर, गधा आदि को नहीं दिखाना चाहिए. यदि देख ले तो उसे छोड़ दें. इस तरह हर एक पूर्णिमा को इस पूर्णिमा से शुरू करके पुरे वर्ष की पूर्णिमा को करें. आखिरी पूर्णिमा को एक बर्तन में बालू मिटटी व जौ, गेंहू चावल और तिल भरे विधि विधान से पूजन करावें. बेलपत्र की एक हजार आहुति से हवन करें. तथा सोलह अथवा आठ नहीं तो चार जोड़ा - जोड़ी (पंडित स्त्री -पुरुष ) को वस्त्र और आभूषण पहनाकर विदा करें सो सब मनोरथ सिद्ध होते हैं.