सावन में भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व है। इस पूरे महीने भगवान शिव को गंगा जल, दूध, धतूरा, बेलपत्र, पुष्प आदि चढ़ाया जाता है। सोमवार का दिन इस महीने में अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है लेकिन मंगलवार को सावन में इसके अतिरिक्त महत्वपूर्ण माना जाता है। मंगलवार को माता पार्वती के लिए प्रतिबद्ध माना गया हैं। यह माना जाता है कि सावन में माता पार्वती को प्रसन्न करने के बाद, जीवन की प्रत्येक बाधा खत्म हो जाती है और भक्तो की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
मंगला गौरी व्रत के पीछे की कहानी
लोक कथाओं के अनुसार, पुराने समय में धर्मपाल नाम का एक सेठ था। उनके पास धन-दौलत की कोई कमी नहीं थी लेकिन पति-पत्नी में अनबन थी, तथा उनकी कोई औलाद नहीं थी। यही कारण है कि वह दुखी थे। एक लंबे समय के बाद, उन्हें भगवान की कृपा से एक बच्चे का सुख मिला। उस बच्चे के संबंध में, ब्रह्मणो ने अनुमान लगाया कि यह अल्पायु है और सोलहवें वर्ष में यह सांपों के द्वारा काट लिया जायगा।
जब बच्चा बड़ा हो गया, तो वह एक महिला से मिला, जिसकी छोटी बेटी मंगला गौरी थी और वह माँ गौरी का व्रत भी रखती थी | दोनों की पसंद के स्वरूप दोनों का विवाह करा दिया गया | यह उपवास करने वाली महिला की छोटी लड़की को अपने जीवनसाथी की खुशी मिलती है और वह लगातार खुश रहती है। इस व्रत के आशाजनक प्रभाव के साथ, धर्मपाल के बच्चे को अतिरिक्त रूप से एक लंबा जीवन मिला।
मंगला गौरी पूजा की सामग्री
1. जैविक उत्पाद, पुष्प, लड्डू, पान, सुपारी, इलायची, लम्बा, जीरा, धनिया (सभी चीजें सोलह की संख्या में होनी चाहिए), सोलह पवित्र वस्तुओं की 16 चीजें जिनमें साड़ी, 16 टुकड़े, पाँच से अधिक पाँच प्रकार के होते हैं सूखे प्राकृतिक उत्पाद। सात प्रकार के अनाज (गेहूं, उड़द, मूंग, चना, अनाज, चावल और दाल) होने चाहिए।
मंगला गौरी व्रत के लिए निर्देश
जो महिलाएं इस व्रत को करती हैं, उन्हें श्रावण के लंबे खंड के मुख्य मंगलवार को व्रत संकल्प के साथ शुरू करना चाहिए। श्रावण के लंबे खंड के प्राथमिक मंगलवार को, स्नान पश्चात और वस्त्र धारण करने के बाद। मंगला गौरी की मूर्ति या तस्वीर को लाल कपडे के साथ लपेटा जाता है और लकड़ी की चौकी पर स्थापित किया जाता है। इसके बाद, गेहूं के आटे का उपयोग करके एक मिश्रण तैयार किया जाता है, व् दीए में 16-16 बाती के चार टुकड़े कपड़े से बने हो।
मंगला गौरी विधि
मंगला गौरी व्रत का प्रारम्भ, दिन के पहले भाग में उपवास करने से शुरू किया जाता है।
चौकी पर सफेद लाल कपड़ा बिछाएं।
सफेद वस्त्रों पर, चावल नौ ग्रह बनाते हैं, और लाल वस्त्रों पर, गुण बनाते हैं।
गणेश जी का निर्माण कर चौक के एक तरफ चावल और एक तरफ पुष्पों द्वारा किया जाता है।
गेहूं से कलाकृति का निर्माण करके, हम कलश का परिचय देते हैं।
कपड़े से बने 16-16 बाती की चार चादरें मिश्रण से चार आयामी रोशनी बनाकर जलाई जाती हैं।
गणेश पूजन में गणेश पर जल, रोली, मौली, जूता, सिन्दूर, सुपारी, लम्बा, पान, चावल, फूल, इलायची, अभिव्यंजक नृत्य, जैविक उत्पाद, मेवा और दक्षिणा भेंट की जाती है।
इसके बाद कलश का पूजन श्री गणेश के लिए किया जाता है।
उस समय नौ ग्रह और सोलह माताओं की वंदना की जाती है। हर एक सामग्री, जिसका प्रयोग किया जाता है, ब्राह्मण को दी जाती है।
मंगला गौरी की प्रतिमा को जल, दूध, दही से स्नान, वस्त्र, रोली, चंदन, शृंगार, महन्दि और काजल लगाकर अर्घ्य दें। श्रंगार की सोलह वस्तुओं से माता की वृद्धि होती है।
मंगला गौरी व्रत कथा का सभी के साथ बैठकर पाठ करे |
पाठ समापन के बाद, विवाहित महिला अपने रिश्तेदार और शादी के लिए अपनी मां को सोलह लड्डू देती है। इसके बाद वह यह प्रसाद ब्राह्मण को भी दिया जाता है। बुधवार को, देवी मंगला गौरी की प्रतिमा को आखिरी तेज के दूसरे दिन धारा या पोखर में बहा दिया जाता है।
The worship of Lord Shiva in Sawan has special significance. During this whole month, Lord Shiva is offered Ganga water, milk, datura, belpatra, flowers etc. The day of Monday becomes more important in this month but Tuesday is considered to be more important in Sawan. Mata Parvati is said to be committed on Tuesday. It is believed that after pleasing Mata Parvati in the spring, every obstacle in life is over and the wishes of the devotees are fulfilled.
The story behind Mangla Gauri fast
According to folk tales, there was a Seth named Dharmapala in olden times. They had no shortage of wealth, but there was a rift in husband and wife, and they had no children. This is why he was unhappy. After a long time, he got the pleasure of a child by the grace of God. In relation to that child, the Brahmins speculated that it is under age and that in the sixteenth year it will be bitten by snakes.
When the child grew up, he met a woman, who had a young daughter Mangala Gauri and she also kept a fast of mother Gauri. Both were married as per their preference. The little girl of this fasting woman gets the happiness of her spouse and is constantly happy. With the promising effect of this fast, Dharmapala's child additionally got a long life.
Mangala Gauri Puja content
1. Organic products, flowers, laddus, paan, betel nut, cardamom, tallow, cumin, coriander (all things must be sixteen in number), 16 items of sixteen sacred items including sarees, 16 pieces, more than five types There are dried natural products. There should be seven types of grains (wheat, urad, moong, gram, grains, rice and lentils).
Instructions for Mangla Gauri fast
Women who perform this fast should begin with the goals of several vows on the main Tuesday of the long section of Shravan, after bathing and wearing clothes. The idol or picture of Mangla Gauri is wrapped with red cloth and is set on a wooden post. After this, a mixture is prepared using wheat flour, made of four pieces of 16 to 16 wick in cloth.
Mangla Gauri method
Mangla Gauri fast begins in the first part of the day by fasting.
Spread white red cloth on the outpost.
On white clothes, rice makes nine planets, and on red clothes, qualities.
Ganesh ji is constructed by rice on one side of the Chowk and flowers on one side.
By creating artwork from wheat, we introduce the urn.
Four sheets of 16 to 16 wick made of cloth are lit by making four dimensional lights by mixing.
In Ganesh Pujan, water, roli, molly, shoe, sindoor, betel nut, tallow, paan, rice, flowers, cardamom, expressive dance, organic products, nuts and dakshina are offered to Ganesh.
After this the Kalash is worshiped for Shri Ganesh.
At that time nine planets and sixteen mothers are worshiped. Every material that is used is given to a Brahmin.
Offer the statue of Mangla Gauri with water, milk, curd, bath, clothes, roli, sandalwood, makeup, mahendi and kajal. Sixteen items of adornment make the mother grow.
Mangla Gauri Vrat Katha should sit and read with everyone.
After the lesson ends, the married woman gives sixteen 'laddus' to her relative and her mother. After that this Prasad is also given to the Brahmin. On Wednesday, the idol of Goddess Mangla Gauri is shed in a stream or pokhar on the second day of the last Tej.