प्रत्येक मास के कृष्ण पक्ष को यूं तो बहुत सी चतुर्थी आती है लेकिन गणेश चतुर्थी सर्वाधिक महत्वपूर्ण मानी जाती है तथा धार्मिक प्रवृत्ति की स्त्रियां उस दिन व्रत व गणेश पूजन करती हैं। परंतु जहां तक माह मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी का प्रश्न है, सभी महिलाएं इस व्रत को किसी भी हाल में रखना पसंद करती हैं। लोक प्रचलित भाषा में इसे सकट चौथ कहा जाता है। वैसे वक्रतुण्ड चतुर्थी, माही चौथ अथवा तिलकुटा चौथ इसी पर्व के अन्य नाम हैं। इस दिन विद्या-बुद्धि-वारिधि, संकट हरण गणेशजी तथा चंद्रमा का पूजन किया जाता है। यह व्रत संकटों तथा दुखों को दूर करने वाला तथा प्राणीमात्र की सभी इच्छाएं व मनोकामनाएं पूरी करने वाला है।
कथा
एक बार सभी देवता भगवान शंकर के पास गए। उस समय भगवान शिव के पास स्वामी कार्तिकेय तथा गणेश भी विराजमान थे। शिवजी ने दोनों बालकों से पूछा- 'तुम में से कौन ऐसा वीर है जो देवताओं का कष्ट निवारण करे?'
तब कार्तिकेय ने स्वयं को देवताओं का सेनापति प्रमाणित करते हुए देव रक्षा योग्य तथा सर्वोच्च देव पद मिलने का अधिकारी सिद्ध किया। यह बात सुनकर शिवजी ने गणेश की इच्छा जाननी चाही। तब गणेशजी ने विनम्र भाव से कहा- 'पिताजी! आपकी आज्ञा हो तो मैं बिना सेनापति बने ही सब संकट दूर कर सकता हूं।'
यह सुनकर हंसते हुए शिव ने दोनों लड़कों को पृथ्वी की परिक्रमा करने को कहा तथा यह शर्त रखी- 'जो सबसे पहले पूरी पृथ्वी की परिक्रमा करके आ जाएगा वही वीर तथा सर्वश्रेष्ठ देवता घोषित किया जाएगा।'
यह सुनते ही कार्तिकेय बड़े गर्व से अपने वाहन मोर पर चढ़कर पृथ्वी की परिक्रमा करने चल दिए। गणेशजी ने सोचा कि चूहे के बल पर तो पूरी पृथ्वी का चक्कर लगाना अत्यंत कठिन है इसलिए उन्होंने एक युक्ति सोची। वे 7 बार अपने माता-पिता की परिक्रमा करके बैठ गए। रास्ते में कार्तिकेय को पूरे पृथ्वी मण्डल में उनके आगे चूहे के पद चिह्न दिखाई दिए। परिक्रमा करके लौटने पर निर्णय की बारी आई। कार्तिकेय जी गणेश पर कीचड़ उछालने लगे तथा स्वयं को पूरे भूमण्डल का एकमात्र पर्यटक बताया। इस पर गणेश ने सभी देवताओं से कहा-'माता-पिता में ही समस्त तीर्थ निहित हैं इसलिए मैंने इनकी 7 बार परिक्रमाएं की हैं।'
गणेश की बात सुनकर समस्त देवताओं तथा कार्तिकेय ने सिर झुका लिया। तब शंकरजी ने उन्मुक्त कण्ठ से गणेश की प्रशंसा की तथा आशीर्वाद दिया- 'त्रिलोक में सर्वप्रथम तुम्हारी पूजा होगी।' तब गणेशजी ने पिता की आज्ञानुसार जाकर देवताओं का संकट दूर किया।
यह शुभ समाचार जानकर भगवान शंकर ने भगवान् गणेश को यह कहा कि चौथ के दिन चंद्रमा तुम्हारे ( भगवान् गणेश ) मस्तक का सेहरा (ताज) बनकर पूरे विश्व को शीतलता प्रदान करेगा। जो स्त्री-पुरुष इस तिथि पर तुम्हारा पूजन तथा चंद्र अर्ध्यदान देगा। उसका त्रिविधि ताप (दैहिक, दैविक, भौतिक) दूर होगा और एश्वर्य, पुत्र, सौभाग्य को प्राप्त करेगा। यह सुनकर देवगण हर्षातिरेक में प्रणाम कर अंतर्धान हो गए।
सकट चौथ की रस्मे व् जश्न
इस दिन स्त्रियां निर्जल व्रत करती हैं। एक पटरे पर मिट्टी की डली को गणेशजी के रूप में रखकर उनकी पूजा की जाती है और कथा सुनने के बाद लोटे में भरा जल चंद्रमा को अर्ध्य देकर ही व्रत खोला जाता है। रात्रि को चंद्रमा को अर्ध्य देने के बाद ही महिलाएं भोजन करती है। सकट चौथ के दिन तिल को भूनकर गुड़ के साथ कूटकर तिलकुटा अर्थात तिलकुट का पहाड़ बनाया जाता है।
तिलकुटे से ही गणेशजी का पूजन किया जाता है तथा इसका ही प्रसाद बनाते हैं और तिलकुट को भोजन के साथ खाते भी हैं। जिस घर में लड़के की शादी या लड़का हुआ हो, उस वर्ष सकट चौथ को सवा किलो तिलों के साथ सवा किलो शक्कर या गुड़ के साथ कूटकर इसके तेरह लड्डू बनाए जाते हैं। इन लड्डूओं को बहू बायने के रूप में सास को देती है। कहीं-कहीं इस दिन व्रत रहने के बाद सायंकाल चंद्रमा को दूध का अर्ध्य देकर पूजा की जाती है। गौरी-गणेश की स्थापना कर उनका पूजन तथा वर्षभर उन्हें घर में रखा जाता है। तिल, ईख, गंजी, भांटा, अमरूद, गुड़, घी से चंद्रमा गणेश का भोग लगाया जाता है। यह नैवेद्य( प्रसाद ) रात भर डलिया से ढँका होता हैं। उस ढके हुए 'पहार' को पुत्र ही खोलता है तथा उसे भाई-बंधुओं में बांटा जाता है।
On the Krishna Paksha of every month, there are many Chaturthi but Ganesh Chaturthi is considered to be the most important and women of religious instincts observe fast and Ganesh worship on that day. But as far as the Chaturthi of Krishna Paksha of the month is concerned, all women like to keep this fast in any case. In popular language it is called Sakat Chauth. By the way, Vakratund Chaturthi, Mahi Chauth or Tilakuta Chauth are other names of this festival. On this day, Vidya-Budhi-Varadhi, Sankat Haran Ganesha and Moon are worshiped. This fast is going to remove all the troubles and sorrows and fulfill all the wishes and desires of the living beings.
Story
Once all the gods went to Lord Shankar. At that time, Lord Shiva also had Swami Karthikeya and Ganesh seated. Shivji asked both the boys- 'Which one of you is such a hero who can relieve the suffering of the gods?'
Then Karthikeya proved himself to be the commander of the gods and proved himself worthy of getting the post of Supreme and the highest Deity. Hearing this, Shivji wanted to know Ganesha's wish. Then Ganesha said politely - 'Father! If you are allowed, I can overcome all the crisis without becoming a commander.
Hearing this, Shiva laughed and asked the two boys to revolve around the earth and kept this condition - 'The first person who will revolve around the whole earth will be declared the hero and the best deity'.
On hearing this, Karthikeya proudly climbed his vehicle on the peacock and went round the earth. Ganeshji thought that it is very difficult to rotate the entire earth on the strength of the rat, so he thought of a trick. He sat around his parents seven times. On the way, Karthikeya saw the footprints of the rat in front of him in the entire earth circle. Returning after revolving, the decision came. Karthikeya started throwing mud on Ganesha and described himself as the only tourist of the entire planet. On this, Ganesha said to all the gods - 'Mother-father only contains all the pilgrimages, so I have done your circumambulation 7 times.'
All the gods and Kartikeya bowed their heads after listening to Ganesha. Then Shankarji praised Ganesha from the unfurled gorge and blessed- 'You will be the first to be worshiped in Trilok'. Then Ganeshji went according to the father's obedience and removed the crisis of the gods.
Knowing this auspicious news, Lord Shankar told his moon that on the fourth day, the moon will become the sehra (crown) of your (Lord Ganesha) forehead and provide coolness to the whole world. The woman and the man will give your worship and lunar prayers on this date. His trinity (physical, divine, physical) will go away and Aishwarya, the son, will attain good fortune. Hearing this, the Devas bowed to Harshatirek.
Ritual and Celebration of Sakat Chauth
On this day, women fast anhydrous. He is worshiped by placing a nugget as Ganeshji on a plate and after listening to the story, the water filled in the lotus is opened by offering the moon to the Lord. Women eat only after offering the moon to the night. On the day of Sakat Chauth, roast the sesame and crush it with jaggery and make a mountain of tilakuta, that is, tilkut.
Ganesha is worshiped from Tilakuta and makes its offerings as well and eat Tilakut with food. In the house where the boy is married , in that year, thirteen laddus are made by crushing Sakat Chauth with one and a quarter kilos of sesame seeds, one or two kilograms of sugar or jaggery. The daughter-in-law gives these laddus to her mother-in-law. Some days, after fasting on this day, the moon is worshiped by offering milk to the evening. Gauri-Ganesh is established and worshiped and kept in the house throughout the year. Moon Ganesha is offered with sesame, reed, ganji, bhanta, guava, jaggery, ghee. This naivedya (prasad) is covered with a lamp overnight. The son opens that covered 'Pahar' and is divided into brothers.