Hanuman Jayanti~हनुमान जयंती in the year 2023 will be celebrated on Thursday, 06th April, 2023
Hanuman Jayanti is celebrated on the birth anniversary of Lord Hanuman, also known as Bajrangbali, is considered as the greatest devotee of Lord Rama according to Hindu culture. It is celebrated on the fourth full moon day in the month of Chaitra. Hanuman Jayanti is celebrated with much zeal and enthusiasm across India.
Legend of Hanuman Jayanti - Hanuman is the son of Lord Pavana, the God of Wind. The legend goes that in his childhood, he assumed that the sun was a delicious fruit and tried to swallow it. Foreseeing danger Indra, the King of the Gods struck Hanuman with his thunderbolt and wounded him. In anger Lord Pavana went away with Hanuman to the nether region endangering the existence of all humans and gods.
At length Brahma, the Lord of all cosmos appealed to Pavan to return to earth. To appease him, all the gods conferred great boons on Hanuman making him immortal and more powerful than any other being. Thus Hanuman is the embodiment of the powers of all gods.
Celebration and Ritual of Hanuman Jayanti - On the day of Hanuman Jayanti, people flock to temples and apply vermilion on the idol of Hanuman. They offer betel leaves to the Lord and observe fast. Then the worshipping of Lord Hanuman is performed and people apply vermilion on their forehead as a mark of devotion to Hanuman.
Religious foods, coconut and flowers are distributed among people. Many devotees recite the Hanuman Chalisa which is a devotional song based on the accomplishments of Lord Hanuman.
Significance of Hanuman Jayanti - Lord Hanuman is the ardent devotee of Lord Rama. He is upheld as the model for human devotion to God. He is a celibate and is known by many names like Bajrang Bali, Pavan Putra, Mahavir and Maruti. Hanuman symbolizes strength and power and unparalleled selfless service and devotion to the almighty. He is an epitome of bachelorhood and Brahmacharya.
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हिन्दू सभ्यता और संस्कृति के अनुसार हनुमान जयंती भगवान् हनुमान जी के जन्मोत्सव के रूप में मनाई जाती है। भगवान् हनुमान जी जोकि बजरंगबली नाम से भी जाने जाते है को प्रभु श्री राम का सर्वश्रेष्ठ भक्त माना जाता है। हमुमान जयंती चैत्र माह की पूर्णिमा को मनाई जाती है। सारे भारत में हनुमान जयंती बहुत हर्ष और उल्लास के साथ मनाई जाता है।
हनुमान जी वायु के देवता पवनदेव जी के पुत्र है। बचपन में हनुमान जी ने सूर्य को एक स्वादिष्ट फल जानकर निगलने की हठ कर ली। सूर्य को निगलने से होने वाले दुषपरिणामो को देखते हुए देवताओ के राजा इंद्र ने अपने वज्र का प्रहार करते हुए हनुमान जी को घायल कर दिया। जिससे क्रोधित होकर पवनदेव हनुमान जी को लेकर पाताल लोक में पहुंच गए और वायु के प्रवाह को रोककर समस्त मानवजाति और देवताओ के प्राणो के लिए खतरनाक संकट उत्पन्न कर दिया।
अंत में ब्रह्माण्ड के देवता ब्रह्मा जी ने पवनदेव से पृथ्वी पर वापस लौटने की विनती की। पवन देव को खुश करने के लिए सभी देवताओ ने हनुमान जी को विशेष शक्तियां प्रदान की और उनको असाधारण अजर अमर और किसी भी अन्य प्राणी से अधिक शक्तिशाली बना दिया। इस प्रकार हनुमान जी सभी देवताओ की शक्तियों का अवतार बन गए।
हनुमान जयंती उत्सव और अनुष्ठान - इस दिन भक्त समूहों में मंदिर जाते है और हनुमान जी की प्रतिमा पर सिन्दूर लगाते है। श्रद्धालु पान के पत्ते भगवान् को अर्पण करते है और व्रत उपवास रखते है। उसके बाद भगवान् हनुमान जी की पूजा उपासना की जाती है और लोग अपने मस्तको पर सिन्दूर को हनुमान जी के प्रति श्रद्धा के प्रतीक चिह्न के रूप में लगाते है। धार्मिक सात्विक व्यंजन, नारियल और फूल लोगो को बांटे जाते है।
अनेक श्रद्धालु भक्त हनुमान जी की विशेषताओं को धार्मिक मन्त्र हनुमान चालीसा सबको सुनाते है। भगवान् हनुमान प्रभु श्री राम के उत्साही और प्रिय भक्त है। अतः हनुमान जयंती का बहुत महत्व है और हनुमान जी मानव का ईश्वर के प्रति श्रद्धा और प्रेम का आदर्श रूप है। हनुमान जी अविवाहित है और अनेक नामो जैसे बजरंगबली, पवनपुत्र, महावीर और मारुती आदि से जाने जाते है।
हनुमान जी शक्ति और साहस के प्रतीक है और सर्वशक्तिमान प्रभु श्री राम के प्रति अद्वितीय स्वार्थ रहित सेवा और श्रद्धा भक्ति के परिचायक है। भगवान् हनुमान अविवाहित्ता और ब्रह्मचर्य के भी प्रतीक स्वरुप है।