Home » 2024 Year Festivals List With Dates » Ganga Dussehra Date in 2024

Ganga Dussehra Date in

ज्येष्ठ सुदी दशमी को गंगा दशहरा कहा जाता है. इस दिन नदियों में श्रेष्ठ गंगा जी भागीरथ द्वारा की गयी कठिन तपस्या के फलस्वरूप स्वर्गलोक से पृथ्वी पर अवतरित हुई थी. ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि घोर पापों को नष्ट करने वाली मानी गई है. इस तिथि में स्नान, दान, तर्पण से दश पापों का विनाश होता है, इसलिए इसका नाम दशहरा पडा. 

इस दिन गंगा स्नान का महत्व अधिक माना जाता है. क्योकि गंगा स्नान, दान, तर्पण से दस पापों का नाश होता है। इसलिये इस तिथि को दशहरा कहा जाता है।

गंगा दशहरा कथा : 

प्राचीन काल में अयोध्या में सगर नाम के राजा राज्य करते थे. उनके केशिनी तथा सुमति नामक दो रानिया थी. पहली रानी के एक पुत्र असमंजस का उल्लेख मिलता है; परन्तु दूसरी रानी सुमति के साठ हज़ार पुत्र थे. एक बार जब राजा सगर अश्वमेघ यज्ञ कर रहे थे, उसी समय यज्ञ पूर्ति के लिए एक घोडा छोड़ा.

इन्द्र यज्ञ को भंग करने के लिए उस घोड़े को चुराकर कपिलमुनि के आश्रम में बाँध आये. राजा ने उसे खोजने के लिए साठ हज़ार पुत्रो को भेजा. खोजते खोजते वे कपिलमुनि के आश्रम में पहुंचे तथा समाधिस्थ मुनि के क्रोधाग्नि में जलकर भस्म हो गए.

अपने पितव्य चरणों को खोजता हुआ अंशुमान जब मुनि आश्रम में पहुंचा तो महात्मा गरुड़ ने भस्म होने का समूचा वृन्तांत बताया. गरुड़ जी ने यह भी बताया की यदि इन सबकी मुक्ति चाहते हो तो गंगा जी को स्वर्ग से धरती पर लाना पडेगा. इस समय अश्व को ले जाकर अपने पितामह के यज्ञ को पूर्ण कराओ, उसके बाद यह कार्य करना. अंशुमान ने घोड़े सहित यज्ञमंडप पर पहुंचकर सगर से सब वृन्तांत कह सुनाया.

महाराज सगर की मृत्यु के उपरान्त अंशुमान और उनके पुत्र दिलीप जीवनपर्यंत तपस्या करके भी गंगा जी को मृत्युलोक में ना ला सके. अंत में महाराज दिलीप के पुत्र भागीरथ ने गंगा जी को इस लोक में लाने के लिए गोकर्ण तीर्थ में जाकर कठोर तपस्या की. इस प्रकार तपस्या करते-करते कई वर्ष बीत गए, तब ब्रह्मा जी प्रसन्न हुए तथा गंगा को पृथ्वी लोक पर ले जाने का वरदान दिया.

ब्रह्मा जी के कमंडल से छूटने के बाद समस्या यह थी कि गंगा जी के वेग को संभालेगा कौन? विधाता ने बताया कि भूलोक में भगवान शंकर के सिवाय किसी में यह सामर्थ्य नहीं जो गंगाजी के वेग को संभाल सके. इस आदेशानुसार, भागीरथ को फिर एक अंगूठे के बल खड़े होकर भगवान् शंकर कि आराधना करनी पड़ी. शिवजी प्रसन्न हुए तथा गंगा को धारण करने के लिए जटा फैलाकर तैयार हो गए.

गंगा जी देवलोक से छोड़ी गयी और शकर कि जटा में गिरते ही विलीन हो गयी. गंगा जी को ऐसा अहंकार था कि शंकर कि जटाओ को भेदकर रसातल में चली जाउंगी. गंगाजी शंकर जी की जटाओ में कई वर्षो तक भ्रमण करती रही, लेकिन निकालने का कोई मार्ग न मिला. भागीरथ के पुन: अनुनय विनय करने पर नन्दीश्वर ने प्रसन्न होकर हिमालय में ब्रह्मा जी के द्वारा निर्मित बिन्दुसार में गंगा को छोड़ा. उस समय इनकी सात धाराये हो गयी, तब आगे-आगे भागीरथ दिव्य रथ पर चल रहे थे, जिनके पीछे-पीछे सातवी धारा(गंगा की) चल रही थी। 
 
धरातल पर गंगा जी के आते ही हाहाकार मच गया. जिस रास्ते में गंगा जा रही थी, उसी मार्ग में ऋषिराज जन्हु का आश्रम तथा तपस्या स्थल पड़ता था. तपस्या आदि  में विघ्न समझकर वे गंगा जी को पी गए. फिर देवताओं के अनुनय तथा प्रार्थना करने पर उन्हें पुन: अपनी जांघ से निकाल दिया. तभी से यह जन्हु पुत्री या जान्हवी कहलाई. इस प्रकार अनेक स्थानों पर तरन-तारण कराती जान्हवी ने कपिल मुनि के आश्रम में पहुंचकर सगर के साठ गजार पुत्रो के भस्मावशेषो को तारकर मुक्त किया.

उसी समय ब्रह्मा जी ने प्रकट होकर भागीरथ के कठिन तप से प्रसन्न होकर उन्हें तथा सगर के साठ हज़ार पुत्रो को  अमर होने का वर दे दिया. तदन्तर यह घोषित किया कि तुम्हारे नाम पर गंगा जी का नाम भागीरथी होगा. अब तुम अयोध्या में जाकर राज-काज संभालो. ऐसा कहकर ब्रह्मा जी अंतर्धान हो गए इस वरदान से भागीरथ जी पुत्र लाभ तथा सुखपूर्वक राज्य भोगकर परलोक गए. 

गंगा अवतरण की इस कथा को सुनने और सुनाने पर जाने अन्जाने में किये गये पापों का उसी प्रकार से अन्त हो जाता है। जिस प्रकार से सूर्योदय के पश्चात अंधेरे का।

 
Comments:
 
Sun Sign Details

Aries

Taurus

Gemini

Cancer

Leo

Virgo

Libra

Scorpio

Sagittarius

Capricorn

Aquarius

Pisces
Free Numerology
Enter Your Name :
Enter Your Date of Birth :
Ringtones
Find More
Copyright © MyGuru.in. All Rights Reserved.
Site By rpgwebsolutions.com