Phulera Duja is a ritual associated with the Holi festival and is observed on the second day (dwitiya) of the Shukla Paksha (waxing phase of moon) of Phalgun month (February – March) mainly in North India. In Lord Krishna temples in Vrindavan and Mathura special rituals are held on the day. In some temples, a bit of color is smeared on the face of Lord Krishna.
In some parts of North India, it is believed that the whole day is auspicious and therefore astrologers and pandits need not be consulted for finding an auspicious time. Due to this unique occurrence, the day is chosen by some communities to perform marriages.
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फुलैरा दूज होली उत्सव से जुड़ा एक अनुष्ठान है और इसे फाल्गुन माह (फरवरी - मार्च) के शुक्ल पक्ष (चन्द्रमा के उदय होने के चरण) के दूसरे दिन (द्वित्या) तिथि को मुख्य रूप से उत्तर भारत में मनाया जाता है। वृंदावन और मथुरा के मंदिरों में भगवान कृष्ण की पूजा, अर्चना के विशेष अनुष्ठानों का आयोजन फुलैरा दूज के दिन किया जाता हैं। कुछ मंदिरों में, भगवान कृष्ण के चेहरे पर भी थोड़ा सा रंग गुलाल डाला जाता है।
उत्तर भारत के कुछ हिस्सों में, यह माना जाता है कि फुलैरा दूज का ये पूरा दिन बहुत ही शुभ होता है और इसलिए आज के दिन ज्योतिषियों और पंडितों से शुभ समय खोजने के लिए सलाह लेने की आवश्यकता नहीं होती है। इस अनोखे गुण के कारण, काफी लोग जिनके विवाह के मुहूर्त आदि में समस्या होती है। शुभ मुहूर्त के रूप में आज के दिन को चुनकर शुभ कार्य करते है।