कथा अमरनाथ की मान्यता है कि एक बार देवी पार्वती ने शिव से प्रश्न किया कि आपके अमर होने की क्या कथा है? पहले तो उन्होंने बताने से इंकार कर दिया, लेकिन पार्वती के बार-बार आग्रह करने पर वे कथा सुनाने के लिए राजी हो गए।
इसके लिए उन्होंने अमरनाथ की गुफाको चुना, जहां कोई प्राणी न पहुंच सके। वहां उन्होंने पार्वती जी को सारी कथा सुनाई। कहते हैं कि दो कबूतरों ने उनकी कथा सुन ली और वे भी अमर हो गए। शिव भक्त मानते हैं कि आज भी गुफामें वे दोनों कबूतर दिखाई पडते हैं।
मृत्यु को जीतने वाले [मृत्युंजय] शिव अमर हैं, इसलिए अमरेश्वर भी कहलाते हैं। जनसाधारण अमरेश्वरको ही अमरनाथ कहकर पुकारते हैं। श्रीअमरनाथजम्मू-कश्मीर राज्य में स्थित है। श्रद्धालुओं की तीर्थयात्रा जम्मू से शुरू होती है।
देश के सभी कोनों से तीर्थयात्री रेल, बस या हवाई जहाज के जरिए आसानी से जम्मू पहुंच सकते हैं।
अमरनाथ की गुफातक पहुंचने के लिए तीर्थयात्री जम्मू से पहलगाम[पहलगांव] जाते हैं। यह दूरी सडक मार्ग से लगभग 363कि.मी. है। यहां तक की यात्रा आप बस, टैक्सी या निजी कार से आसानी से कर सकते हैं। यदि आप श्रीनगर के हवाई अड्डे पर उतरते हैं, तो लगभग 96कि.मी. की सडक-यात्रा कर पहलगामपहुंच सकते हैं। पहलगाममें ठहरने के लिए सामाजिक-धार्मिक संगठनों की ओर से आवासीय व्यवस्था है।
चंदनवाडी:श्रीअमरनाथ-यात्राका पहला पडाव चंदनवाडीहै। यह पहलगामसे मात्र 16कि.मी. दूर है। यह स्थान समुद्रतल से 9500फीट की ऊंचाई पर स्थित है।
पिस्सू टाप :चंदनवाडीसे 3किमी चढाई करने के बाद आपको रास्ते में पिस्सू टाप पहाडी मिलेगी। जनश्रुतियांहैं कि देवासुर संग्राम में यहां देवताओं ने कई दानवों को मार गिराया था। दानवों के कंकाल एक ही स्थान पर एकत्रित होने के कारण यह पहाडी बन गई। पिस्सू टाप से 12कि.मी. दूर 11,730फीट की ऊंचाई पर शेषनाग पर्वत है, जिसके सातों शिखर शेषनाग के समान लगते हैं। शेषनाग झील भी अद्भुत है। यहां तंबू [कैंप] लगाकर यात्री अपना दूसरा पडाव डालते हैं। यदि आप शेषनाग से 4.6कि.मी. की कठिन चढाई चढते हैं, तो 14,000फीट की ऊंचाई पर महागुणा टाप आएगा। यहां से नीचे उतरते हुए 9.4कि.मी. की दूरी तय करके पंचतरिणी पहुंचा जा सकता है। शेषनाग और इससे आगे की यात्रा बहुत कठिन है। यहां बर्फीली हवाएं चलती रहती हैं।
पंचतरिणी:आगे की यात्रा में भैरव पर्वत मिलता है। इसकी तलहटी में पंचतरिणी नदी है, जहां से पांच धाराएं निकलती हैं। मान्यता है कि पांचों धाराओं की उत्पत्ति शिवजी की जटाओं से हुई है। श्रीअमरनाथके दर्शन से पूर्व का यह तीसरा और अंतिम पडाव है।
पंचतरिणीसे 3कि.मी. चलने पर अमरगंगाऔर पंचतरिणीका संगम स्थल मिलता है। यहां से श्रीअमरनाथकी पवित्र गुफालगभग 3कि.मी. दूर है। समुद्रतल से लगभग 13,000फीट की ऊंचाई पर स्थित इस गुफामें प्रवेश करने पर हम हिम [बर्फ] से बने शिवलिंगका दर्शन करते हैं। इसके अलावा, हमें बर्फ की बनी दो और आकृति दिखाई देती है, जिन्हें पार्वती और गणपति का स्वरूप माना जाता है। गुफामें बूंद-बूंद करके जल टपकता रहता है। ऐसी मान्यता है कि गुफाके ऊपर पर्वत पर श्रीरामकुंडहै। इसी का जल गुफामें टपकता रहता है। कुछ विद्वान गुफामें पार्वती की मूर्ति को साक्षात जगदम्बा का स्वरूप मानते हैं और इस स्थान को शक्तिपीठ के रूप में मान्यता देते हैं। पवित्र गुफामें वन्य कबूतर भी दिखाई देते हैं, जिनकी संख्या समय-समय पर बदलती रहती है। सफेद कबूतर के जोडे को देखकर तीर्थयात्री अमरनाथ की कथा को याद कर रोमांचित हो उठते हैं।
दर्शन का समय :बाबा अमरनाथ के दर्शन के लिए तीर्थयात्री अमूमन मध्य जून, जुलाई और अगस्त में आते हैं। यात्रा के शुरू और बंद होने की घोषणा श्रीअमरनाथश्राइनबोर्ड करती है।