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झारखण्ड राज्य के वैद्यनाथधाम स्थित माता सती का हृदयपीठ प्रधान 51 शक्तिपीठों में से एक और हिन्दुओं का एक प्रमुख तीर्थस्थल है. पद्मपुराण के पातालखंड में वर्णित कथाओं के अनुसार हृदयपीठ के समान शक्तिपीठ सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड-मंडल में कहीं नहीं है. पौराणिक कथानुसार भगवान भोलेनाथ जब माता के अवशिष्ट शरीर को अपने कंधे पर लेकर ब्रह्माण्ड-मंडल में घूमने लगे, तो भगवान विष्णु द्वारा सुदर्शन चक्र से भगवती सती के शरीर को 51 हिस्सों में विभक्त करने पर माता का हृदय भाग यहीं पर गिर पड़ा था. भगवान भोलेनाथ ने माता के हृदय भाग का यहीं पर दाह-संस्कार किया था, जिस कारण इस पवित्र पावन धरती को चिताभूमि भी कहा जाता है. भगवती सती यहां जय दुर्गा नाम से जबकि भगवान शिव अपने वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग स्वरुप उनके भैरव रूप में प्रतिष्ठित हैं. हृदयपीठ शक्तिपीठ में माता सती की पूजा-वंदना के साथ साथ कन्या पूजन का भी बड़ा महत्व है. आस्थावान भक्तों में मान्यता है कि यदि कोई श्रद्धापूर्वक माता की पूजा करता है और अपने कष्ट और दुःख माता को सुनाता है तो, भगवती सती स्वरुप जय दुर्गा उसके सभी कष्टों को अवश्य ही दूर कर देती हैं. |