चिन्तपूर्णी चिन्ता दूर करनी,
जन को तारो भोली माँ |
काली दा पुत्र पवन दा घोडा,
सिंह पर भई असवार, भोली माँ || १ ||
एक हाथ खड़ग दूजे में खांडा,
तीजे त्रिशूलसम्भालो, भोली माँ || २ ||
चौथे हथ चक्कर गदा पांचवे,
छठे मुण्डों दी माल भोली माँ || ३ ||
सातवें से रुण्ड-मुण्ड बिदारे,
आठवें से असुर संहारे, भोली माँ || ४ ||
चम्पे का बाग लगा अति सुन्दर,
बैठी दीवान लगाय, भोली माँ || ५ ||
हरि हर ब्रह्मा तेरे भवन विराजे,
लाल चंदोया बैठी तान, भोली माँ || ६ ||
औखी घाटी विकटा पैंडा,
तले बहे दरिया, भोली माँ || ७ ||
सुमर चरन ध्यानू जस गावे,
भक्तां दी पज निभाओ, भोली माँ || ८ ||