जय लक्ष्मी रमणा श्री जय लक्ष्मी रमणा,शरणागत जय शरण गोवर्धन धारणा | टेक
जै जै युमना तट निकटित प्रगटित बटुवेषा |अटपट गोपी कुंज तट पट पर नटवर वेषा || जय०
जय जय जय रघुवीर कंसारे |पति कृपा वारे संसारे || जय०
जय जय गोपी पलक बन्धो |जय माता तुम कृष्ण कृपा सिन्धो || जय०
जै जै भक्तजन प्रतिपालक चिरंजीवो विष्णो |मामुद्धर दिनो घरणीघर विष्णो || जय०
जै जै कृष्ण निजपत रस सागर में |कुरु करुणा कुरु करुणा दास सखासिख में || जय०