s
Inspiration - (मौत का डर व्यर्थ क्यों)

एक मछुआरा समुद्र के तट पर बैठकर मछलियां पकड़ता और अपनी जीविका अर्जित करता।
एक दिन उसके वणिक मित्र ने पूछा, “मित्र, तुम्हारे पिता हैं?”

मछुआरा बोला “नहीं, उन्हें समुद्र की एक बड़ी मछली निगल गई।”

वणिक ने पूछा, “और, तुम्हारा भाई?”

मछुआरे ने उत्तर दिया, “नौका डूब जाने के कारण वह समुद्र की गोद में समा गया।”

वणिक ने दादाजी और चाचाजी के सम्बन्ध में पूछा तो उन्हे भी समुद्र लील गया था।

वणिक ने कहा, “मित्र! यह समुद्र तुम्हारे परिवार के विनाश का कारण है, इस बात को जानते हुए तुम यहां बराबर आते हो! क्या तुम्हें मरने का डर नहीं है?”

मछुआरा बोला, “भाई, मौत का डर किसी को हो या न हो, पर वह तो आयगी ही। तुम्हारे घरवालों में से शायद इस समुद्र तक कोई नहीं आया होगा, फिर भी वे सब कैसे चले गये? मौत कब आती है और कैसे आती है, यह आज तक कोई भी नहीं समझ पाया। फिर मैं बेकार क्यों डरुं?”

वणिक के कानों में भगवान् महावीर की वाणी गूंजने लगी-“नाणागमो मच्चुमुहस्स अत्थि।” मृत्यु का आगमन किसी भी द्वार से हो सकता है।

वज्र-निर्मित मकान में रहकर भी व्यक्ति मौत की जद से नहीं बच सकता, वह तो अवश्यंभावी है। इसलिए प्रतिक्षण सजग रहने वाला व्यक्ति ही मौत के भय से ऊपर उठ सकता है।

UPCOMING EVENTS
  Pausha Putrada Ekadashi, 10 January 2025, Friday
  Shakambari Jayanti, 13 January 2025, Monday
  Sakat Chauth Fast, 17 January 2025, Friday
  Vasant Panchami, 2 February 2025, Sunday
  Ratha Saptami, 4 February 2025, Tuesday
  Bhishma Ashtami, 5 February 2025, Wednesday
Sun Sign Details

Aries

Taurus

Gemini

Cancer

Leo

Virgo

Libra

Scorpio

Sagittarius

Capricorn

Aquarius

Pisces
Free Numerology
Enter Your Name :
Enter Your Date of Birth :
Ringtones
Copyright © MyGuru.in. All Rights Reserved.
Site By rpgwebsolutions.com