उडि़या शिल्पकला का नमूना है पहाड़ी मंदिर-
खलारी । खलारी का प्रसिद्ध पहाडी मंदिर अब उडिया शिल्पकला का नमूना बन गया है।
इस मंदिर की स्थापना वर्ष 1929में हुई थी। लेकिन 2002में मकर संक्त्रांतिके दिन से इसके पुर्ननिर्माणका बीडा उठाया पहाडी मंदिर विकास समिति के कुछ नवयुवकों ने। आरंभ में बंगाल के तथा बाद में उडीसा के शिल्पकारों ने इस मंदिर के निर्माण में अपने कला का जौहर दिखलाया है। पुर्ननिर्माणमें लगभग एक करोड रुपए खर्च हो चुके है। पांच हजार फिट वर्ग से ज्यादा क्षेत्रफल में मंदिर का निर्माण हुआ है। पहाडी मंदिर के स्थापित हनुमान जी का बडा प्रताप है, जिसने भी मंनतमांगी पूरी हुई है। खलारी के लोग देश-दुनियां के किसी भी कोने में बसें हो समय मिलने पर खलारी पहाडी मंदिर में स्थापित हनुमान जी का दर्शन करना नही भूलते। बजरंग बली के प्रति लोगों की आस्था ही है कि इतनी बडी धन राशि इस मंदिर निर्माण में लगाई जा रही है।
पुर्ननिर्माणके दौरान इसी मंदिर में शिव तथा मां दुर्गा की प्रतिमा भी स्थापित की गई। जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरुपानंदसरस्वती ने मार्च 2006में स्वयं इन प्रतिमाओं की प्राण-प्रतिष्ठा की थी। मंदिर के मुख्य द्वार का निर्माण जारी है। शिल्पकारों ने इस भव्य मंदिर के रंग-रोगन में लगभग 10लाख रुपए के खर्च होने का अनुमान है। मंदिर में सबसे बडी समस्या पानी की है। पहाडी पर बसे होने के कारण जलस्तर काफी नीचे है। मकर संक्त्रांतिके अवसर पर पुर्ननिर्माणकी वर्षगांठ मनाई जाती है। शुक्त्रवारको नौवां वर्षगांठ है। जब हजारों लोग खिचडी प्रसाद लेने के लिए उमड पडेंगे। मंदिर के पास तीन एकड 70डिसमिलजमीन है।