माछीवाडा की उत्तर दिशा में स्थित पुरातन ऐतिहासिक श्री शिवाला बह्मचारी मंदिर में शिवलिंग की स्थापना पांडवों ने की थी। पूरे पंजाब में केवल एक और पूरे भारतवर्ष में ऐसे केवल दो मंदिर है। दूसरा मंदिर उत्तर प्रदेश में है। इस मंदिर में सिद्धपीठ मंदिर होने के सभी गुण है। इस मंदिर का ऐतिहासिक पहलू यह भी है कि मंदिर में शिवलिंग की स्थापना पांडव पुत्रों ने की थी। पांडव पुत्रों ने अपने वनवास के दौरान अज्ञातवास की एक रात इस स्थान पर बिताई थी। अगली सुबह पांडव पुत्रों ने नित्य क्रिया करने के बाद शिवलिंग की पूजा करने के लिए गंगा मइया की अराधना की, उनकी अराधना से प्रसन्न होकर उन्हें वरदान दिया कि यहां प्रतिदिन अढाई पल के लिए आउंगी। यहां किया गया स्नान गंगा स्नान के बराबर है। आज से कुछ समय पूर्व लोग जहां फूल (अस्थियां) बहाते थे, जो स्वीकृत किए जाते थे। इस मंदिर में स्थापित शिवलिंग के सामने प्रवाहित जल में अढाई सीढियां बनी हुई है, जो तब से लेकर आज तक अढाई ही है। इस मंदिर की महानता पिहोवा पुरातन शिव मंदिर के समान है। धार्मिक ग्रथों और महापुरुषों के अनुसार प्राचीन शिव मंदिर में जो पांच गुण होने चाहिए वह यहां मौजूद हैं। इस पुरातन मंदिर में श्री हनुमान जी की दक्षिणमुखी प्रतिमा, त्रिवेणी (ब्रह्मा, विष्णु, महेश), पंच मुखी शिवलिंग, स्वच्छ प्रवाहित जल और श्मशान सभी पांच चीजें मौजूद हैं, जो कि इसकी प्राचीनता और महानता को बयान करते हैं। इस मंदिर में जो प्राणी सच्चे मन से चालीस दिन पूजा करता है। भगवान शिव उसके सभी पापों को दूर कर सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते है। इस मंदिर में सावन माह की पूजा का खास महत्व है। भगवान शिव भोले का पवित्र उत्सव महाशिवरात्रि मंदिर में श्रद्धालुओं द्वारा उत्साह से मनाया जाता है। सुबह शिवलिंग की पूजा-अर्चना उपरांत हवन का आयोजन किया जाता है। संगत के लिए लंगर अटूट बरताया जाता है। |