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निर्बलों को बल, नेत्रहीनों को नेत्र, विद्याहीनों को विद्या, धनहीनों को धन, संतानहीनों को संतान देकर अपने भक्तों के सभी कार्यों को पूर्ण करनेवाली शेरावाली मां वैष्णो देवी का प्रसिद्ध मंदिर जम्बू-कश्मीर के हसीन वादियों में त्रिकूट पर्वत पर गुफा में विराजित है. मां वैष्णो देवी का यह प्रसिद्ध दरबार हिन्दू धर्मावलम्बियों का एक प्रमुख तीर्थ स्थल होने के साथ-साथ 51 शक्तिपीठों में से एक मानी जाती हैं. कथानुसार महाशक्तियों के इच्छानुसार दक्षिण भारत में रत्नासागर के घर मां वैष्णो ने पुत्री रूप में जन्म लिया. बचपन में इनका नाम त्रिकूटा था परन्तु भगवान विष्णु के अंश रूप में प्रकट होने के कारण वैष्णवी नाम से विख्यात हुई. यूं तो जगत माता वैष्णो देवी के सम्बन्ध में कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं परन्तु एक प्रसिद्ध मान्यतानुसार एक बार पहाड़ोवाली माता ने अपने एक परम भक्त पंडित श्रीधर की भक्ति से प्रसन्न होकर उसकी लाज बचाई और पूरे सृष्टि को अपने अस्तित्व का प्रमाण दिया. मां वैष्णो देवी के गुफा में महालक्ष्मी, महाकाली और महासरस्वती पिंडी रूप में स्थापित हैं. वैष्णो देवी की इस पवित्र यात्रा के दौरान भक्तगण देवामाई, बाण गंगा, चरण पादुका, गर्भ जून गुफा, भैरव मंदिर आदि तीर्थों के भी दर्शन का लाभ उठाते हैं. आस्थावान भक्तों का मानना है कि माता के बुलाने पर ही कोई भक्त उनके दरबार में जाता है और जो भी भक्त सच्चे हृदय से मां वैष्णो देवी के सामने मनोकामना करता है, मां उसकी इच्छाओं को अवश्य पूर्ण करती हैं. |