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Lord Kartikeya

Lord Kartikeya
 Kartikeya, the second son of Lord Shiva and Goddess Parvati or Shakti, is known by many names Subramaniam, Sanmukha, Shadanana, Skanda and Guha. In the southern states of India, Kartikeya is a popular deity and is better known as Murugan.
He is an embodiment of perfection, a brave leader of god's forces, and a war god, who was created to destroy the demons, representing the negative tendencies in human beings. His vehicle is a peacock, a pious bird that grips with its feet a serpent, which symbolizes the ego and desires of people. The peacock represents the destroyer of harmful habits and the conqueror of sensual desires. The symbolism of Kartikeya thus points to the ways and means of reaching perfection in life.
 
 
In South India Kartikeya is famous as Murugan. Murugan also called Skanda and Subrahmanyan, is a popular Hindu deity especially among Tamil Hindus, worshipped primarily in areas with Tamil influences, especially South India, Singapore, Sri Lanka, Malaysia, Mauritius and Reunion Island. Lord Muruga - called by various favourite names like Karthilkeya, Arumuga, Shanmuga, Guhan, Skanda, Subramanya and Kumara - by his ardent devotees. He is considered to be the son of Lord Shiva and the brother of Lord Ganesh. 
 
 
His six most important shrines in India are the Arupadaiveedu temples, located in Tamil Nadu. In Sri Lanka, Hindus as well as Buddhists revere the sacred historical Nallur Kandaswamy temple in Jaffna and the sacred Buddhist and Hindu shrine or Katirkāmam Temple (also in Sinhala "Katharagama Devalaya") dedicated to him, situated deep south in the country.
 
Lord Murugan is more popular in South India especially among Tamil people famously referred as Thamizh Kadavul (God of Tamils) compared to other parts of India. He is the patron deity of the Tamil land (Tamil Nadu). In Karnataka he is popular as "Subrahmanya" and is often associated with snakes, famous shrine Kukke Subramanya is well known for Sarpa shanti rites.In Andhra Pradesh and Bengal too he is popular by the names "Subrahmanya" and "Kartikeya" respectively.



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कार्तिकेय | Lord Kartikeya 
 
भगवान कार्तिकेय हिंदु धर्म के प्रमुख देवों मे से एक हैं, कार्तिकेय जी को स्कंद और मुरुगन नाम से भी पुकारा जाता है. दक्षिण भारत में पूजे जाने वाले प्रमुख देवताओं में से एक भगवान कार्तिकेय शिव पार्वती के पुत्र हैं, कार्तिकेय भगवान  के अधिकतर भक्त तमिल हिन्दू हैं. इनकी पूजा मुख्यत: भारत के दक्षिणी राज्यों और विशेषकर तमिलनाडु में होती है. इसके अतिरिक्त विश्व में श्रीलंका, मलेशिया, सिंगापुर आदि में भी इन्हें पूजा जाता है. भगवान स्कंद के सबसे प्रसिद्ध मंदिर तमिलनाडू में ही स्थित हैं, इन्हें तमिलों के देवता कह कर भी संबोधित किया जाता है.
 
कार्तिकेय के विभिन्न नाम | Different Name of Lord Kartikeya
 
भगवान कार्तिकेय को अनेक नामों से पुकारा जाता है. संस्कृत ग्रंथ अमरकोष के अनुसार कार्तिकेय जी के नाम बताए गए हैं - स्कंद, भूतेश, भगवत, महासेन, पार्वतीनन्दन, शरजन्मा, षडानन, सेनानी, अग्निभू, गुह, बाहुलेय, तारकजित, कुमार, क्रौञ्चदारण, विशाख, शिखिवाहन,  कौमारिकी और शक्तिश्वर कहा गया है.
 
कार्तिकेय जन्म कथा | Lord Kartikey Birth Story
 
कार्तिकेय की जन्म कथा के विषय में पुराणों में ज्ञात होता है कि सती के आत्म दाह करने से सृष्टि शक्ति हीन हो जाती है, तब दैत्यों का अत्याचार ओर आतंक फैल जाता है और देवताओं को पराजय का समाना करना पड़ता है जिस कारण सभी देवता भगवान ब्रह्मा जी के पास पहुंचते हैं और अपनी रक्षार्थ उनसे प्रार्थना करते हैं ब्रह्मा उनके दुख का जानकर उनसे कहते हैं कि तारक का अंत भगवान शिव के पुत्र द्वारा ही संभव है परंतु सती के अंत के पश्चात भगवान शिव गहन साधना में लीन हुए रहते हैं.
 
इंद्र और अन्य देव भगवान शिव के पास जाते हैं, तब भगवान शंकर ने पार्वती के अपने प्रति अनुराग की परीक्षा लेते हैं और पार्वती की तपस्या से प्रसन्न होते हैं और इस तरह शुभ घड़ी और शुभ मुहूर्त में शिव जी और पार्वती का विवाह हो जाता है. इस प्रकार कार्तिकेय का जन्म होता है और कार्तिकेय तारकासुर का वध करके देवों को उनका स्थान प्रदान करते हैं. 
 
पुराणों के अनुसार षष्ठी तिथि को कार्तिकेय भगवान का जन्म हुआ था इसलिए इस दिन स्कन्द भगवान की पूजा का विशेष महत्व है, पंचमी से युक्त षष्टी तिथि को व्रत के श्रेष्ठ माना गया है व्रती को वैशाख शुक्ल पंचमी से ही उपवास करना आरंभ करना चाहिए और  वैशाख शुक्ल षष्ठी को भी उपवास रखते हुए स्कन्द भगवान की पूजा का विधान है.
 
कार्तिकेय स्वरूप | Personality of Kartikeya
 
कार्तिकेय स्वामी सेनाधिप हैं, शक्ति के अधिदेव हैं, प्रतिष्ठा, विजय, व्यवस्था, अनुशासन सभी कुछ इनकी कृपा से सम्पन्न  होते हैं. कृत्तिकाओं ने इन्हें अपना पुत्र बनाया इस कारण इन्हें कार्तिकेय कहा गया, देवताओं ने इन्हें अपना सेनापतित्व प्रदान किया मयूरा पर आसीन देवसेनापति कुमार कार्तिक की आराधना दक्षिण भारत मे सबसे ज्यादा होती है, यहां पर यह मुरुगन नाम से विख्यात हैं . स्कन्द पुराण के मूल उपदेष्टा कुमार कार्तिकेय ही हैं तथा यह पुराण सभी पुराणों में सबसे विशाल है. 
 
कार्तिकेय बाल रूप कथा | Story of Child Form Kartikeya
 
कार्तिकेय भगवान सदैव बालक स्वरूप में ही रहते हैं, उनके इस बालक स्वरूप को लेकर एक कथा बहुत प्रचलित है. एक बार भगवान शिव देवी पार्वती के साथ एक खेल खेलते हैं जिसमें शिव भगवान शंकर अपना सब कुछ हार जाते हैं और इस हार के पश्चात वह गंगा के किनारे चले जाते हैं. जब कार्तिकेय जी को इस घटना का पता चलता है तो वह माता पार्वती से भगवान शिव की सभी वस्तुएं वापस लेने के लिए आते हैं और इसके लिए वह माता के साथ यह खेल खेलते हैं जिसमें पार्वती जी हार जातीं हैं और कार्तिकेय शिव जी को शंकर जी का सारा सामान उन्हें वापस लौटा आते हैं. 
 
 
 
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