संध्या का समय था , चैत का महिना। डोमन शराब के नशे में अपनी पत्नी बरती को पीटे जा रहा था। वह जोर-जोर से चिल्ला रही थी, पर उसकी रक्षा करे कौन ? डोमन जब भी शराब पी कर आता इसी तरह बरती को मार पीट करता। जवान बेटी शोभा और बालक रमुआ भाई-बहिन पिता के कोप से डर कर घर के एक कमरे में बन्द हो जाते।
रमुआ अपनी बहन शोभा से पूछता-दिदिया बापू मइया को क्यों मारता है ? शोभा समझाती-बापू दारू के नशे में मइया को मारता है। रमुआ-बापू दारू क्यों पीता है ? आज हमलोग समझाएंगे, कि दारू मत पीना, समझाएंगे न दिदिया। नहीं रे, नशे में हमें भी मार बैठेगा । बापू हमारी बात नहीं सुनेगा । दोनों भाई बहन शराबी पिता को शराब पीने से मना करने की तरकीब पर दिमाग लगाते रहे।
एक दिन डोमन नशे में नहीं था। बरती ने अपने पति डोमन से कहा-बेटी जवान हो गई है इसकी शादी ब्याह करोगे या ऐसे ही बैठे रहोगे। गाँव के लड़कों की बुरी निगाहे शोभा पर लगी रहती है। जवान बेटी ससुराल बस जाए तो अच्छा। डोमन बरती की बातों से सहमत हो कर लड़के की तालाश में निकलने को राजी हुआ तो बरती समझाने लगी-देखो अपने जैसा शराबी दामाद मत ढूढ़ लेना। कुल खानदान पढ़ा लिखा सब ठीक से परख लेना। डोमन तीन दिनों के बाद शोभा के लिए लड़का तय कर आ गया ।बरती पूछ बैठी- लड़का पढ़ा लिखा है न, हाँ, लड़का इए.बीए. पास है।
शराबी, नशेड़ी नहीं है न?
नहीं,उसके घर में कोई मांस मछली तक नहीं खाता। कबीर पन्थी है, कबीर पन्थी।
तब तो ठीक है-बरती बोली ।
अब बरती अपनी बेटी शोभा की शादी की तैयारी में लग गई । तीन कठ्ठा जमीन बेच कर शोभा का दहेज पूरा हुआ।
आज डोमन फिर दारू पी कर घर आया और बरती के साथ मारपीट करने लगा । आज शोभा और रामू ने मइया को एक कमरे में बन्द कर ताला जड़ दिया। डोमन ने शोभा और रामू को गन्दी-गन्दी गालियां दी, मारने दौड़ा। दोनो पड़ोसी के घर जा कर छिप गए । डोमन बरती के बन्द घर का कीबाड़ पीटते पीटते थक कर वही लुढ़क गया। कुछ देर बाद शोभा आई और देखी बापू बेहोश पड़ा है। दरवाजे का ताला खोलकर मां को बाहर निकाली और बापू को उसी तरह छोड़ दी।
कुछ दिनों के बाद शोभा की शादी हुई और वह ससुराल बसने लगी। उसने पिता द्वारा माँ को दी गई यातना की घटना अपने पति पवन को बताया । पवन और शोभा ने डोमन के शराब की लत को छुड़ाने की एक योजना रची । पवन ने कहा तुम्हें तुम्हारे मैके पहुँचा देता हूँ। तुम अपने माता पिता से कहना कि मेरा पति बहुत शराबी है, रोज शराब पी कर आता है और नशे में मार-पीट करता है, इसी कारण मेरा स्वास्थ्य खराब हो रहा है। हाथ में पट्टी बँधवा देता हूं, कहना कि मार कर मेरा हाथ तोड़ दिया है। तब तेरा बाप मेरे पास आएगा और मैं उसे ऐसा समझाऊंगा कि शायद वह शराब छोड़ देगा।
पवन और शोभा की योजना शराबी पिता के शराब की लत छुड़ाने की बन गई।शोभा हाथ टूट जाने का पट्टी बाँध् कर पगली की तरह मायके पहुँची। बेटी की यह दशा देख कर मां बहुत रोई। नारी जीवन आंसुओं का समुन्दर है। उसने अपने पति को बहुत बुरा भला कहा। अपने तो शराबी था हीं, दामाद भी महाशराबी ढूंढ़ लाया। देखो उस शराबी ने बेटी की क्या दशा कर रखी है ,बरती ने पति से कहा। डोमन इस घटना से आश्चर्य चकित था। लड़का तो शराबी था नहीं। ऐसा कैसे हो गया। वह दूसरे दिन अपनी बेटी के घर पहुंचा । दामाद से पूछ ताछ की, दामाद पवन ने कहा-हाँ मैं शराबी हूँ, महाशराबी। शराब के नशे में मैंने तेरी बेटी शोभा को मारा पीटा और हाथ तोड़ दिया ।
आप भी तो शराब की नशे में सासु-माँ को मार पीट करते है, गालियां देते है, आप दूसरे की बेटी को नशे में मार पीट करते हैं तो हमने भी शराब के नशे में आपकी बेटी को मारा और हाथ तोड़ दिया । आइन्दा और भी मारपीट करूंगा, जबतक आप शराब नहीं छोड़ेगे मैं भी शराब नहीं छोडूंगा, जब तक आप सासु-माँ को मार पीट करना गाली देना बन्द नहीं करेगें, मैं भी आपकी बेटी के साथ ये सब जारी रखूंगा। दामाद पवन की बाते सुनकर डोमन के अन्दर का देवता जाग उठा। उसने दामाद के सामने गंगा की तरफ हाथ उठा कर कसम खाया कि अब वह शराब नहीं पीएगा और अपनी पत्नी बरती के साथ मार-पीट गाली-गलौज नहीं करेगा।
इस प्रतिज्ञा और कसम के साथ डोमन अपना गॉंव लौटा और शराब पीना बिल्कुल छोड़ दिया । दो माह के बाद पवन अपना ससुराल पहुंचा । अपनी पत्नी शोभा और सास बरती से ससुर डोमन में बदलाव की बातें जानना चाहा।
पत्नी और सास की बात सुनकर पवन बहुत खुश हुआ, क्योंकि डोमन शराब पीना बिल्कुल छोड़ चुका था ।घर का वातावरण बिलकुल बदल चुका था। एक शराबी की बेटी ने अपने पति के सहयोग से बर्बाद होते पिता के घर को बचा लिया।
सच में बेटी घर की लक्ष्मी होती है। आज शोभा और उसके पति पवन द्वारा बनाई गई इस योजना और उसकी सपफलता व बदलाव की चर्चा पूरे इलाके में है कि डोमन की बेटी और दामाद ने डोमन जैसे शराबी के नारकीय जीवन को बदल दिया ।