एक जंगल था बड़ा खुशहाल | वहा के दो मंत्री थे, एक सुग्गा (तोता) और हंस - तोता बड़ा ज्ञानी था और हंस बड़ा धैर्यवान | वहा के सभी प्राणी उन पर गर्व करते थे | एक बार उस जंगल में एक ब्राह्मण भटक कर आ गया जंगल के रखवालो ने उसे पकड़ लिया और राजा के सामने सभा में प्रस्तुत किया, राजा लालची था उसने कहा की इस ब्रह्मिन को मैं मार कर खा जाऊंगा, लेकिन उसके मंत्री कर्त्तव्य निष् और ईमानदार थे - उन्होंने राजा को ऐसा करने से रोका | उन्होंने सभा में कहा की राजन ! यह यात्री है और ब्राह्मण भी इसका सत्कार करिए और कुछ उपहार देकर विदा करिए, जिससे यह जंगल का गुणगान करे, सभा ने भी एक मत में उनका समर्थन किया | वो ब्राह्मण वहा से प्रसन्न हो कर गया, एक बार वो कुछ वर्षो बाद जंगल से गुजर रहा था, उसने सोचा चलो राजा और उनके मंत्रियो से मिल लिया जाये | वो जब सभा में पंहुचा तो राजा बड़ा प्रसन्न होकर बोला आज हष्ट पुष्ट ब्राह्मण खाने को मिलेगा - ब्राह्मण भयभीत होकर बोला राजन आप तो नीति के अनुसार चलते है, आप के मंत्री बहुत नेक है और आप ऐसी बाते कर रहे है | सिंह बोला
"सुग्गा तो मारा गयो
हंसा गयो पहाड़
अब हमरे मंत्री भये
कौवा और सियार "
वो ब्राह्मण मारा गया |