वाम मार्गी संप्रदाय के इस मंदिर में काल भैरव की मूर्ति को न सिर्फ मदिरा चढ़ाई जाती है, बल्कि बाबा भी मदिरापान करते हैं ।
महाकाल के इस नगर को मंदिरों का नगर कहा जाता है। यहां एक विशेष मंदिर - काल भैरव मंदिर है। यह मंदिर महाकाल से लगभग पाँच किलोमीटर की दूरी पर है।
मंदिर के बाहर सजी दुकानों पर हमें फूल, प्रसाद, श्रीफल के साथ-साथ वाइन की छोटी-छोटी बोतलें भी सजी नजर आईं। कुछ श्रद्धालुओं ने प्रसाद के साथ-साथ मदिरा की बोतलें भी खरीदते हैं।
बाबा के दर पर आने वाला हर भक्त उनको मदिरा (देशी मदिरा) जरूर चढ़ाता है। बाबा के मुँह से मदिरा का कटोरा लगाने के बाद वाइन धीरे-धीरे गायब हो जाती है।
मंदिर में भक्तों का ताँता लगा रहता है। भक्तओं के हाथ में प्रसाद की टोकरी में फूल औऱ श्रीफल के साथ-साथ मदिरा की एक छोटी बोतल भी जरूर नजर आ जाती है।