कटडा [टोनी पाधा]। मां वैष्णो देवी ने बाबा श्रीधर को दर्शन देने के साथ ही भंडारे में शामिल हुई थी। इसी पावन स्थल पर माता वैष्णो देवी के प्रिय भक्त बाबा श्रीधर रहते थे। इतना ही नहीं दर्शन से लौटकर यहां कन्या पूजन कराने से मनोकामनाएंपूरी होती हैं। जी हां, हम बात कर रहे हैं आधार शिविर कटडा के मुख्य बस अड्डे से करीब आधा किमी दूर कटडा-कश्मीर मार्ग पर स्थित भूमिका मंदिर की। यहां पर निजी वाहन या ऑटोरिक्शा या फिर पैदल भी जाया जा सकता है। चिंतामणि मंदिर से गली के रास्ते इस मंदिर तक आसानी से पांच या दस मिनट के अंदर पहुंचा जा सकता है। श्रीधर यहीं माता की भक्ति में घंटों लीन रहते था। उसकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी, लेकिन वैष्णो देवी के प्रति गहरी आस्था के कारण परिवार अत्यंत प्रसन्न अथवा सुखी था। पौराणिक कथानुसार, बाबा श्रीधर अपनी कुटिया में मां भगवती के ध्यान में मग्न थे। वहां मां वैष्णवी ने एक दिव्य कन्या के रूप में दर्शन दिए। उन्होंने बाबा को भंडारा कराने को कहा। उसी क्षण श्रीधर भंडारे के आयोजन में जुट गया। गरीबी के कारण वह इस बात को लेकर चिंतित था कि कैसे वह भोजन सामग्री जुटाएगा। भंडारे के दिन सुबह उसकी आंख खुली तो व्यवस्था देखकर दंग रह गया। उसे समझने में देर नहीं लगी कि ये मां वैष्णो की कृपा है। भंडारा शुरू होते ही मां वैष्णो भी कन्या रूप धारण कर पहुंची। कुछ देर बाद ही भैरो नाथ भंडारे में अपने शिष्यों के साथ पहुंचा। उसने श्रीधर से भोजन में मदिरा व मांस की मांग की। माता ने जब भोजन में ये सामग्री देने से इंकार करवाया तो भैरो माता के साथ अभद्र व्यवहार पर उतर आया। अति होने पर मां वैष्णवी वहां से अंतध्र्यान होकर त्रिकूट पर्वत की ओर कूच कर गई। इस मंदिर की मान्यता है कि जो भी भक्त मां वैष्णो देवी के दर्शन से लौटकर यहां कन्यापूजनकरता है मां भगवती उसकी मनोकामनाएंपूरी करती हैं।