सौराष्ट्र (गुजरात) के काठियावाड़ क्षेत्र में ऐतिहासिक प्रभास तीर्थ स्थित है, जहां प्रसिद्ध सोमनाथ का मंदिर है. देश के १२ ज्योतिर्लिंगों में प्रसिद्ध सोमनाथ ज्योतिर्लिंग का स्थान प्रथम है. कहते हैं कि सोमनाथ में महामृत्युंजय का जाप करने से मनुष्य के समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं. सोमनाथ मंदिर के परिसर में एक कुंड है, जिसके बारे में मान्यता है कि इस कुंड में स्नान करने के बाद असाध्य से असाध्य रोग भी खत्म हो जाता है. शिव पुराण के अनुसार सोमनाथ के दर्शन नहीं कर पानेवाले भक्त सोमनाथ की उत्पति की कथा सुनकर भी वही लाभ उठा सकते हैं.
पौराणिक अनुश्रुतियों के अनुसार सोम अर्थात चंद्र दक्ष के दामाद थे. एक बार उन्होंने दक्ष की आज्ञा की अवहेलना की, जिससे कुपित होकर दक्ष ने श्राप दिया कि उनका प्रकाश दिन-प्रतिदिन धूमिल होता जाएगा. चन्द्रमा के क्षीण होते ही चारो तरफ हाहाकार मच गया. जब सभी देवी-देवता इस समस्या को लेकर ब्रह्मा जी के पासा गए तो उन्होंने बोला कि जो घटना घट गई उसे तो भुगतना ही है क्योकि दक्ष के निश्चय को बदला नहीं जा सकता है. श्राप से बचने का उपाय बताते हुए ब्रह्माजी ने कहा कि चन्द्रमा सभी देवतओं के साथ प्रभास क्षेत्र चले जाएं और वहां विधिपूर्वक भगवान शिव की आराधना करते हुए महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें. उनकी तपस्या से यदि भोलेनाथ प्रसन्न हो गए तो उन्हें श्राप से मुक्त कर देंगे. यह युक्ति कम कर गई और शिवजी प्रसन्न हो गए. भगवान शिव के आशीर्वाद से सोम का तेज वापस मिल गया. तभी से भगवान शिव यहां सोमेश्वर कहलाने लगे और बाद में सोमनाथ के नाम से प्रसिद्ध हुए.