Date of birth: 19 July 1827
Date of death: 8 April 1857
Place of birth the village of Nagwa in district Ballia
Place of death: Barrackpore, Calcutta, India
Movement: Indian Rebellion of 1857
मंगल पांडे का जन्म 19 जुलाई 1827 को फैजाबाद के सुरहुरपुर नामक गाँव में हुआ था, किन्तु बहुत लोगो का मानना है कि इनका जन्म नगवा नमक गाँव में हुआ था। मंगल पांडे ने किसी स्कूल से शिक्षा प्राप्त नहीं की उन्होंने अपने घर में ही पढना लिखना सीखा था अपने दादा से !
10 मई 1881 को मंगल पांडे ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना में भर्ती हो गये! वह बंगाल आर्मी के एक साधारण से सिपाही थे! वह नेटिव इन्फैंट्री की 34 रेजिमेंट के सिपाई थे। भारतीय स्वाधीनता संग्राम में मंगल पांडे का नाम अग्रणी योद्धाओं के रूप में लिया जाता है जिनके द्वारा भ़डकाई गई क्रांति की ज्वाला से ईस्ट इंडिया कंपनी का शासन बुरी तरह हिल गया था। भारत वासियों पर अंग्रेजों द्वारा किये जा रहे नित नए नए अत्याचारों को देख कर उन पर रहा नही गया।
19 जुलाई 1827 को जन्मे मंगल पांडे बंगाल नेटिव इन्फैंट्री की 34वीं रेजीमेंट के सिपाही थे। सेना की बंगाल इकाई में जब "एनफील्ड पी..53" राइफल में नयी किस्म के कारतूसों का इस्तेमाल शुरू हुआ तो हिन्दू और मुसलमान दोनों धर्मों के सैनिकों के मन में अंग्रजों के खिलाफ रोष पैदा हो गया। इन कारतूसों को मुंह से खोलना प़डता था।
सेना में ऎसी खबर फैल गई कि इन कारतूसों में गाय तथा सुअर की चर्बी का इस्तेमाल किया जाता है और अंग्रेजों ने हिन्दुस्तानियों का धर्म भ्रष्ट करने के लिए ऎसा जान बूझकर किया है। चौंतीसवीं बंगाल नेटिव इन्फैंट्री का कमांडेंट व्हीलर ईसाई उपदेशक का काम भी करता था। 56वीं बंगाल नेटिव इन्फैंट्री के कैप्टन विलियम हैलीडे की पत्नी उर्दू और देवनागरी में बाइबल की प्रतियां सिपाहियों को बांटने का काम करती थी। इस तरह भारतीय सिपाहियों के मन में यह बात पुख्ता हो गई कि अंग्रेज उनका धर्म भ्रष्ट करने का प्रयत्न कर रहे हैं।
फिर बैरकपुर छावनी में 29 मार्च 1857 को हुई घटना ने पूरे देश में खलबली मचा दी और जहां..जहां खबर फैली वहीं फिरंगियों के खिलाफ विद्रोह शुरू हो गया।
ब्रितानिया हुकूमत के खिलाफ मंगल पांडे के बगावती तेवरों ने आग में घी डालने का काम किया और मन ही मन सुलग रही क्रांति की चिनगारी ज्वाला बनकर भ़डक उठी। नए कारतूस का प्रयोग अंग्रेजों के लिए घातक साबित हुआ। इस विद्रोह ने ईस्ट इंडिया कंपनी की चूलें हिलाकर रख दी थीं।
इसके बाद ही हिन्दुस्तान में ब्रितानिया हुकूमत का आगाज हुआ और अंग्रेजी कानून यहाँ की भोली-भाली जनता पर लागू किये गये ताकि मंगल पाण्डेय जैसा कोई सैनिक दोबारा शासकों के विरुद्ध बगावत न कर सके।
भारत की आजादी की पहली लड़ाई अर्थात् 1857 के विद्रोह की शुरुआत मंगल पांडे से हुई जब गाय व सुअर कि चर्बी लगे कारतूस वापस लेने से मना करने पर उन्होंने विरोध जताया। इसके परिणाम स्वरूप उनके हथियार छीन लिये जाने व वर्दी उतार लेने का फौजी हुक्म हुआ। मंगल पाण्डेय ने उस आदेश को मानने से इनकार कर दिया और 29 मार्च सन् 1857 को उनकी राइफल छीनने के लिये आगे बढे अंग्रेज अफसर मेजर ह्यूसन पर आक्रमण कर दिया।
आक्रमण करने से पूर्व उन्होंने अपने अन्य साथियों से उनका साथ देने का आह्वान भी किया था किन्तु कोर्ट मार्शल के डर से जब किसी ने भी उनका साथ नहीं दिया तो उन्होंने अपनी ही रायफल से उस अंग्रेज अधिकारी मेजर ह्यूसन को मौत के घाट उतार दिया जो उनकी वर्दी उतारने और रायफल छीनने को आगे आया था। इसके बाद विद्रोही मंगल पाण्डेय को अंग्रेज सिपाहियों ने पकड लिया।
उन पर कोर्ट मार्शल द्वारा मुकदमा चलाकर 6 अप्रैल 1857 को मौत की सजा सुना दी गयी। कोर्ट मार्शल के अनुसार, उन्हें 18 अप्रैल 1857 को फाँसी दी जानी थी परन्तु इस निर्णय की प्रतिक्रिया कहीं विकराल रूप न ले ले, इसी कूट रणनीति के तहत क्रूर ब्रिटिश सरकार ने मंगल पाण्डेय को निर्धारित तिथि से दस दिन पूर्व ही 8 अप्रैल सन 1857 को फाँसी पर लटका कर मार डाला।