जब योगीराज श्री कृष्ण महाभारत का युद्ध समाप्त होने पर अपने भक्त मोरध्वज की परीक्षा लेना चाहते हैं जिसमें कृष्ण ने अर्जुन के साथ शर्त लगायी थी कि तुम से भी बड़ा मेरा एक भक्त है और वह है मोरध्वज। उन्होंने राजा मोरध्वज के पास ऋषिवेश में पहुंचकर कहा कि महाराज मेरा शेर भूखा है और यह नरभक्षी है।
राजा ने कहा कि ठीक है मै अपने मांस से इसकी भूख को शान्त कर देता हूं तो उन्होंने कहा कि नहीं यह तो किसी बच्चे का मांस खाता है तो राजा मोरध्वज ने अपने बच्चे का मांस खिलाना उचित समझा। तब कृष्ण ने कहा कि आप दोनों पति-पत्नि अपने पुत्र का सिर काटकर मांस खिलाओं अगर इस बीच तुम्हारा एक भी आंसू निकला तो यह नहीं खायेगा। इस प्रकार राजा और रानी ने अपने पुत्र का सिर काटकर शेर के आगे डाल दिया। तब कृष्ण ने राजा मोरध्वज को आर्शीवाद दिया तथा उनका पुत्र पुर्नजीवित हो गया। इस प्रकार राजा ने अपने भक्त की परीक्षा ली।