Vasant Panchami

Vasant Panchami
This year's Vasant Panchami

Sunday, 02 Feb - 2025

वसंत पंचमी जिसे बसंत पंचमी भी कहा जाता है। पूरे भारतवर्ष के त्योहारों में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है। यह वसंत या वसंत ऋतू के मौसम आने का सूचक है। वसंत का आगमन ताजगी और परिवेश को एक नया जीवन प्रदान करता है व् पर्यावरण को सुगन्धित करता है और हवायें मानो कुछ कह रही हो। बसंत के महीने में पेड़ पौधे अपनी पुरानी पत्तियों को त्याग देते है व नयी पत्तियाँ आने लगती है। प्रकृति इस चरण के दौरान अपने सबसे उत्कृष्ट रूप को धारण करती है। यह त्योहार बड़े पैमाने पर कवियों, विचारकों, प्रकृति प्रेमियों और लोगों की कल्पना को जगाने के लिए भी जाना जाता है।

हिंदू केवल धर्म नहीं है बल्कि जीवन जीने का एक तरीका है। हिंदू धर्म का मानने वाले लोग देवी, देवताओं के प्रति बहुत आस्था रखते है, तथा जिनकी वे विभिन्न अवसरों पर विभिन्न अनुष्ठानों द्वारा पूजा करते हैं। वसंत पंचमी एक पर्व है जिसमे देवी सरस्वती की पूजा की जाती है। 

वसंत पंचमी के दिन भारत के अन्य राज्यों जैसे पश्चिम बंगाल और उड़ीसा में इसे श्री पंचमी या सरस्वती पूजा के रूप में भी मनाया जाता है।

इस दिन देवी सरस्वती की पूजा भिन्न -भिन्न क्षेत्रों में विभिन्न नामों और रीति रिवाजो के साथ की जाती है जैसे :- विद्या की देवी, गायत्री की देवी, ललित कलाओं और विज्ञान का फव्वारा और सर्वोच्च वेदिक ज्ञान का प्रतीक।

देवी सरस्वती की छवि में वह एक हंस (वाहन) पर बैठी दिखाई देती है जो उनके सर्वोच्च ज्ञान का प्रतीक है। सरस्वती का सफेद हंस सत गुण (पवित्रता और सदभाव), माँ लक्ष्मी का कमल रजस गुण और माँ दुर्गा का बाघ तमस गुण का सूचक है। देवी सरस्वती को चार हाथों के साथ "वीणा" बजाते हुए दर्शाया गया है, वीणा जो की एक भारतीय वाद्ययंत्र है।

वसंत पंचमी व् सरस्वती पूजा बहुत उत्साह और उमंग के साथ मनाई जाती है और हिंदू मंदिरों व् विद्यालयों में इस दिन अनेक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता हैं, जहाँ धार्मिक गतिविधि होती है वहीं दूसरी तरफ स्कूली बच्चो को आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है और इसलिए यह दिन स्कूली बच्चों के लिए भी एक महत्वपूर्ण होता है। क्योंकि वे इसे बड़ी श्रद्धा से मनाते हैं।

वसंत पंचमी पर सरस्वती पूजा

ज्योतिषी वसंत पंचमी के दिन को अबूझ या बेहद शुभ मानते हैं। उनका कहना है कि सरस्वती पूजा दिन के किसी भी समय की जा सकती है। यद्यपि, पूजा करने के लिए कोई विशेष मुहूर्त की आवश्यकता नहीं है, यह सही है कि सरस्वती वंदना तब की जाती है जब पंचमी तिथि हो और पूर्वाहन काल का समय हो, क्योंकि यह जरुरी नहीं है कि पंचमी तिथि पूरे दिन के दौरान प्रबल हो।

भारतवर्ष में वसंत पंचमी समारोह

पूरे भारत में इस दिन लोग पीले रंग के वस्त्र पहनकर, मिठाइयाँ खाकर और अपने घरों को पीले फूलों से सजाकर आदि से इस पर्व को मनाते हैं। इस दिन कुछ लोग पूरे दिन का उपवास भी रखते हैं।

पंजाब में, आज के दिन पतंग उड़ाने का रिवाज है जो स्वतंत्रता और खुशी का प्रतीक है। महाराष्ट्र में, नव- विवाहित जोड़े पीले वस्त्र पहनकर एक मंदिर में अपनी प्रार्थना करते हैं, और एक साथ अपनी पहली बसंत पंचमी मनाते है। राजस्थान में लोग वसंतोत्सव मनाने के लिए चमेली की माला धारण करते हैं। पश्चिम बंगाल में, कलाकार देवी सरस्वती के समक्ष अपने सामान की पूजा करते हैं।

पूरे देश में छात्र सरस्वती पूजा के लिए अपनी लेखनी की पूजा करते हैं, और उस दिन पढ़ने या लिखने व् एक दूसरे का कुछ लिखा हुआ सुनाने का भी प्रचलन है।

 

Vasant Panchami, also known as Basant Panchami. It holds an important place in festivals throughout India. This signifies the arrival of spring or spring season. The arrival of spring brings freshness and a new life to the surroundings and smells the environment and the winds are as if they are saying something. 

In the spring, tree plants discard their old leaves and new leaves start coming. Nature assumes its most exquisite form during this phase. The festival is also widely known for awakening the imagination of poets, thinkers, nature lovers and people. 

Vasant Panchami is not only Hinduism but a way of living life. People who believe in Hinduism have a lot of faith in Gods and Goddesses, and whom they worship on various occasions through various rituals. Vasant Panchami is a festival in which Goddess Saraswati is worshiped.

It is also celebrated as Sri Panchami or Saraswati Puja in other states of India such as West Bengal and Orissa on the day of Vasant Panchami.

On this day Goddess Saraswati is worshiped in different areas with different names and customs such as: - Goddess of learning, Goddess of Gayatri, fountain of fine arts and science and symbol of supreme Vedic knowledge.

In the image of Goddess Saraswati, she is seen sitting on a vehicle (swan) which symbolizes her supreme knowledge. The white swan of Saraswati is indicative of seven gunas (purity and discrimination), the lotus rajas of Maa Lakshmi and the tama tamas of Maa Durga. Goddess Saraswati is depicted playing "Veena" with four hands, Veena which is an Indian instrument.

Vasant Panchami and Saraswati Puja are celebrated with great zeal and enthusiasm and Hindu temples and schools are full of activity on this day, on the one hand where there is religious activity, on the other hand it motivates the school children to move forward and hence this day school It is also an important day for children as they observe it with great devotion.

Saraswati Puja on Vasant Panchami

Astrologers consider Vasant Panchami's day as Abuja or extremely auspicious. They say that Saraswati Puja can be done at any time of the day. Although, no special Muhurta is required to perform the puja, it is true that Saraswati Vandana is performed when Panchami Tithi and the time of Advahana period, as it is not necessary that Panchami Tithi prevail during the whole day.

Vasant Panchami Celebrations in India

People all over India celebrate this festival by wearing yellow clothes, eating sweets and decorating their houses with yellow flowers etc. On this day some people also fast for the whole day.

In Punjab, it is a custom to fly kites on this day which symbolizes freedom and happiness. In Maharashtra, newly married couples wear yellow clothes to offer prayers at a temple, and celebrate their first spring Panchami together. People in Rajasthan wear jasmine garland to celebrate the day. In West Bengal, artists worship their belongings before Goddess Saraswati.

Students all over the country offer their authorship for Saraswati Puja, and there is a trend of reading or writing and reciting something to each other that day.

 
 
 
 
 
UPCOMING EVENTS
  Pausha Putrada Ekadashi, 10 January 2025, Friday
  Shakambari Jayanti, 13 January 2025, Monday
  Sakat Chauth Fast, 17 January 2025, Friday
  Vasant Panchami, 2 February 2025, Sunday
  Ratha Saptami, 4 February 2025, Tuesday
  Bhishma Ashtami, 5 February 2025, Wednesday
 
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Memories of moments celebrated together
Moments that have been attached in my heart forever
Make me Miss You even more this Navratri.
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