एक राजा को वित्त मंत्री की जरूरत थी। वह इस पद पर ऐसे व्यक्ति को रखना चाहते थे, जो ईमानदार और कर्म हो। वह इसके लिए अनेक उम्मीदवारों की परीक्षा ले चुके थे पर अभी तक कोई भी नौजवान उनकी परीक्षा पर खरा नहीं उतरा था। एक दिन एक युवक उनके दरबार मे आया और बोला, `महाराज, मैं काम की तलाश में हूं। आप मुझे किसी भी काम पर लगा दीजिए।` राजा बोले, `फिलहाल तो मेरे यहां एक ही पद रिक्त है और वह है हमारे रद्दीखाने की चौकीदारी का। क्या तुम करोगे?` युवक शिक्षित था किंतु उसके पास यह कार्य स्वीकार करने के अलावा कोई रास्ता न था। वह रद्दीखाने का चौकीदार नियुक्त कर दिया गया। इस पर प्रधानमंत्री राजा से बोला, `यह क्या महाराज, हमें तो वित्त मंत्री चाहिए था। फिर आपने इस शिक्षित युवक को भला इतना छोटा काम क्यों सौंपा?` इस पर राजा बोले, `वित्त मंत्री का पद बहुत जिम्मेदारी भरा है।
किसी को बिना जांचे-परखे वह काम नहीं सौंपा जा सकता। युवक राजकीय रद्दीखाने की चौकीदारी करने लगा। वहां जाकर सबसे पहले उसने रद्दी का निरीक्षण किया। चारों तरफ बेकार का सामान बिखरा पड़ा था। मकड़ी के जाले और धूल से कमरे की हालत बदतर हो चुकी थी। युवक ने स्वयं उस भवन की सफाई की फिर रद्दी छांटी। युवक ने रद्दी एकत्रित करके बाजार में बेच दी। फिर कमरे में रंग-रोगन करवाया, पर्दे लगवाए और पूरा कमरा व्यवस्थित कर दिया। राजा को इसकी सूचना मिली तो वह रद्दीखाना देखने आए। उसका कायापलट देख कर वह दंग रह गए। उस युवक को शबाशी देते हुए राजा बोले, `अभी से तुम्हें राज्य का वित्त मंत्री नियुक्त किया जाता है। तुम्हारी कार्यकुशलता, निष् ा व ईमानदारी ने यह साबित कर दिया है कि तुम ही वित्त मंत्री पद के हकदार हो।` इस प्रकार अपनी कार्यकुशलता व ईमानदारी से वह युवक वित्त मंत्री बन गया।