एक चीनी रहस्यदर्शी, मेनशियस जोकि कनफ्यूशियस का शिष्य था। एक बार उसके पास एक अफीमची आया और उससे आकर बोला, मेरे लिए अफीम छोड़ना असंभव है। मैंने सभी तरीके, और उपाय आजमा लिए हैं. अंततः मैं विफल हो जाता हूँ। मैं पूरी तरह से असफल हो चुका हूँ। क्या आप मेरी कोई मदद कर सकते हैं ?
मेनशियस ने उसकी पूरी बात सुनी। वह समझ गया की उसके साथ क्या हुआ था, उसने अफीम छोड़ने के लिए बहुत ज्यादा कोशिश की थी। उसने उस आदमी को चाक का एक टुकड़ा दिया और उससे बोला, `अपनी अफीम को चाक के साथ तौलो, और जब भी तौलो तो लिख लेना- एक, दो, तीन, और दीवार पर लिखते जाना कि तुमने कितनी बार अफीम ली। और मैं एक महीने बाद फिर आऊंगा।
उस आदमी ने मेनशियस के बताए इस प्रयोग को किया। जब कभी वह अफीम लेता तो उसे चाक के बराबर का वजन रखना पड़ता। और उसकी चाक धीरे-धीरे ख़त्म होती जा रही थी, क्योंकि हर बार उसे लिखना पड़ता था एक, फिर उसी चाक से दो, तीन लिखना पड़ता था...धीरे-धीरे वह चाक ख़त्म होने को आ गई। शुरू में तो उसे मालूम ही नहीं पड़ा कि चाक धीरे-धीरे कम होती जा रही है, और उसी मात्रा में उसकी अफीम भी कम होती जा रही थी; क्योंकि बहुत ही धीरे-धीरे कम हो रही थी।
एक महीने बाद मेनशियस जब उस आदमी को देखने आया तो वह आदमी जोरों से हंसने लगा और बोला, `आपने मेरे साथ खूब चालाकी की! और... आपकी चालाकी काम कर रही है। यह इतने धीरे-धीरे हुआ कि मैं इस परिवर्तन को अनुभव भी नहीं कर सका, लेकिन फिर भी परिवर्तन तो हो ही रहा है। आधी चाक ख़त्म होने को आई- और आधी चाक के साथ, आधी अफीम भी ख़त्म हो गई।
उस आदमी से मेनशियस ने कहा, "अगर तुम आपने लक्ष्य तक पहुंचना चाहते हो तो कभी भी भागना मत। धीरे-धीरे चलना।"