एक समय की बात है। एक आदमी चोरी करता पकड़ा गया। चोरी करने के अपराध में उसे राजा के सामने पेश किया गया। उन दिनों चोरोँ को फांसी की सजा दी जाती थी। अपराध सिद्ध हो जाने पर इस आदमी को भी फांसी की सजा मिली। राजा ने कहा फांसी पर चढ़ने से पहले तुम्हारी कोई इच्छा हो तो बताओ। इस पर वह आदमी बोला राजन, मैं मोती तैयार करना जानता हूं और इसलिए मरने के पहले कुछ मोती तैयार करना चाहता हूं। मेरी इच्छा है कि मरने से पहले कुछ मोती तैयार कर जाऊं।
राजा ने उसकी बात मान ली और उसे कुछ दिन के लिए छोड़ दिया। आदमी ने महल के पास एक खेत की जमीन को अच्छी तरह खोदा और समतल किया। राजा और उसके अधिकारी वहां मौजूद थे। खेत ठीक होने पर उसने राजा से कहा। महाराज, मोती बोने के लिए जमीन तैयार है, लेकिन इसमें बीज वही डाल सकेगा। जिसने तन से या मन से कभी चोरी न की हो। मैं तो चोर हूं, इसलिए बीज नहीं डाल सकता। राजा ने अपने अधिकारियों की ओर देखा। कोई भी उठकर नहीं आया।तब राजा ने कहा, मैं तुम्हारी सजा माफ करता हूं। हम सब चोर है और एक चोर किसी चोर को क्या दंड देगा।
सीख: 1.बुद्धि का सही उपयोग कर किसी भी परिस्थिति से निकला जा सकता है।
2. जब तक परिणाम न आ जाए हताश नहीं होना चाहिए।