Inspiration - ( सबसे जिद्दी ये पिद्दी सी जुबान)
एक व्यक्ति के मुंह के अन्दर जुबान और दांतों के बीच बहस हो गयी , अहंकारी जुबान ने दांतों से कहा , तुम तो व्यक्ति के पैदा होने के बाद इस जहां में आये हो , मै तो जनम से ही इसके साथ हूँ .. तुम तो इतने क ोर हो और मै कितनी लचीली , तुम तो पहले
ही एक एक कर गिर जाओगे , जबकि मै तो अंत समय तक इसके साथ बनी रहूंगी , यह सब सुन कर दांतों को बहुत गुस्सा आ गया . और उन्होंने कट, से जुबान को काट कर घायल कर दिया ... लहुलुहान जुबान अपना इस तरह का इन्सल्ट सहन नहीं कर पायी , और उसने जोर जोर से , उस व्यक्ति के सगे संबंधियों , मित्रो , रिश्तेदारों को गालियाँ देना , अपशब्द बोलना शुरू कर दिया , ये सब सुनते ही उनका पारा सातवे आसमान पर पहुँच गया और उन्होंने उस व्यक्ति को बहुत जुबान चलती है तेरी , रूक अभी बताते है तुझे ... कह कर मुक्के मार मार कर उसके दांत ही तोड़ दिए ...
अब जुबान फिर खुश ...
लेकिन उस व्यक्ति का दिल ज़ार ज़ार रो रहा था , सम्बन्ध तो बिगड़े ही , इज्जत और साख भी मिटटी में मिल गयी , बाकी सारे अंग भी स्तब्ध थे . और और बेचारे दिमाग को तो समझ नहीं आ रहा था कि अब मै क्या करू ..? किसकी गलती है , किसे सुधारुं ...?बाहर का टूट फूट , साफ़ सफाई तो मै कर लेता हूँ , सभी मेरा आदेश मानते भी है , मगर सबसे जिद्दी ये पिद्दी सी जुबान है , इसे कैसे और किस तरफ साफ़ रखु ? कितनी बार इसे समझाया कि केवल तू ही है , जिसकी वजह से व्यक्ति या तो सबसे अधिक सुख पा सकता है , दूसरो का स्नेह पा सकता है , अथवा सबसे अधिक दुःख और क्रोध का शिकार बन सकता है , मानसिक संताप का कारण भी तू ही है , और आत्मिक सुख भी तेरे ही वचनों से है , तो फिर क्यूँ नहीं तू सुख -समृद्धि वाली बाते करती , क्यूँ और किस अहंकार में रहती है ... आज जब सम्पूर्ण देह रूपचौदस पर स्वयं को सुगन्धित उबटन और लियो लगा कर संवार रहा होगा , तब तू भी ये प्रण ले कि तू भी स्वयं को , स्वयं कि बोली , वचन , भाषा को निखारने का , सुन्दर बनाने का प्रयास करेगी , क्योकि यदि तू ही कालिमा लिए रह गयी तो न तो बाकी अवयवो का श्रुंगार काम आयेगा , न किसी भी प्रकार कि मि ाई रस ला पायेगी जीवन में , जब तक तुझमे मि ास नहीं होगी .