महिला बड़ी भली थी वह बोली - "मैं शोर क्यों मचाऊंगी! तुमको मुझसे ज्यादा चीजों की जरूरत है| आओ, मैं तुम्हारी मदद करूंगी|"
उसके बाद उसने अलमारी का ताला खोल दिया और एक-एक कीमती चीज उसके सामने रखने लगी| चोर हक्का-बक्का होकर उसकी ओर देखने लगा| स्त्री ने कहा - "तुम्हें जो-जो चाहिए खुशी से ले जाओ, ये चीजें तुम्हारे काम आएंगी| मेरे पास तो बेकार पड़ी हैं|"
थोड़ी देर में वह महिला देखती क्या है कि चोर की आंखों से आंसू टपक रहे हैं और वह बिना कुछ लिए चला गया| अगले दिन उस महिला को एक चिट्ठी मिली| उस चिट्ठी में लिखा था --
'मुझे घृणा से डर नहीं लगता| कोई गालियां देता है तो उसका भी मुझ पर कोई असर नहीं होता| उन्हें सहते-सहते मेरा दिल पत्थर-सा हो गया है, पर मेरी प्यारी बहन, प्यार से मेरा दिल मोम हो जाता है| तुमने मुझ पर प्यार बरसाया| मैं उसे कभी नहीं भूल सकूंगा|'