पिता : तुम्हारी शादी की चर्चा चल रही है,,,,तुम्हारा क्या विचार है ?
पुत्र: जैसा आप ठीक समझें,,
पिता: तुम्हें क्या चाहिए,,?
पुत्र: कुछ नहीं..
पिता: फिर भी ?
पुत्र: एक काम करेंगे,,,,दहेज़ मत लीजियेगा,,,
पिता: ये क्या बात हुई ....नहीं लेंगे तो फिर शादी क्या घर से करेंगे...?
पुत्र: हाँ,,,इसमें गलत क्या है ?
पिता: तुमपर इतना खर्च किया है ...बेटियों को देना पड़ा है ,,,सो अब हमारी बारी है ,,,तो हम क्यों न लें,,,
पुत्र: बेटियों को देते समय कितनी परेशानी हुई थी ..भूल गए,,,,,फिर उसी मानसिक कष्ट में किसी को जानबूझकर क्यों डाल रहे हैं,,
पिता: बेटे तुम अभी बच्चे हो ! तुम नहीं समझोगे,,,
पुत्र: हो सकता है...लेकिन अगर इसे आप नहीं लेते तो मुझे ज्यादा ख़ुशी होती....