नदी का बहाव बहुत तेज था , उसमे दो तिनके बहते जा रहे थे। एक तिनका उसमे बहते हुए सोच रह था की मैं इस नदी को सागर से मिला के ही रहूँगा और नाचता जा रहा था,मस्ती में.......जबकि दूसरा उसके बहाव को रोकने की कोशिश कर रहा था। उसने नदी की दिशा बदलने की सोची थी। और इस प्रयास में वो दर्द के मारे टूटने की कगार पे पहुँच गया.........यह वाकया एक चिड़िया ऊपर से देख रही थी उसने सोचा की दोनों मूर्खों के अस्तित्व का इस नदी पे कुछ भी असर नहीं पद रह है। किन्तु एक ने अपनी सोच से जीवन में ख़ुशी प्राप्त कर ली और दूसरे ने अपनी जिंदगी दुखों से भर ली...