हलासन में शरीर को हल की मुद्रा में रखा जाता है.इस आसन के लिए शरीर का लचीला होना बहुत आवश्यक होता है.इस आसन का अभ्यास किस प्रकार करना चाहिए एवं यह किस प्रकार लाभप्रद होता है
हलासन के लाभ – edges of Halasana
हलासन के नियमित अभ्यास से रीढ़ की हड्डियां लचीली रहती है.वृद्धावस्था में हड्डियों से सम्बन्धित कई प्रकार की परेशानियों से बचने के लिए भी यह आसन बहुत ही उपयुक्त होता है.यह आसन पेट सम्बन्धी रोग, थायराइड, दमा, कफ एवं रक्त सम्बन्धी रोगों के लिए बहुत ही लाभकारी होता है.तंत्रिका तंत्र एवं लीवर से सम्बन्धित परेशानियों में भी यह आसन कारगर होता है.मानसिक क्षमताओं को बढ़ाने के लिए भी यह आसन बहुत ही उत्तम होता है.
हलासन अवस्था – Halasana Technique
हलासन का अभ्यास करते समय सिर को मेरूदंड की सीध में रखना चाहिए.आसन के क्रम में जंघाओं से तनाव को कम करने के लिए आप चाहें तो जितना आराम पूर्वक पैरों को फैला सकते हों दोनों तरफ फैलाएं.हलासन के पश्चात रिलैक्स के लिए मत्स्य आसन का अभ्यास करना चाहिए.
सावधानी
इस आसन का अभ्यास उस समय नहीं करना चाहिए जबकि आपकी गर्दन और कंधो में किसी प्रकार की परेशानी हो.हृदय रोग एवं रक्तचाप सम्बन्धी परेशानियों में भी इस आसन का अभ्यास नहीं करना चाहिए.रजोधर्म के समय स्त्रियों को इस आसन का अभ्यास नहीं करना चाहिए.
योग क्रिया – the way to do Halasana Step by Step
स्टेप one पीठ के बल भूमि पर लेट जाएं.
स्टेप a pair of पैरों को मोड़ें और पैर की उंगलियों को सिर के पीछे ज़मीन से टिकाएं.
स्टेप three पैरों को सीधा करते हुए ऐड़ियों को शरीर से दूर ले जाने की कोशिश करें.
स्टेप four बांहों को ज़मीन पर टिकाए रखें.हथेलियां ज़मीन की दिशा में रहनी चाहिए.
स्टेप five इस मुद्रा में thirty सेकेण्ड से a pair of मिनट तक बने रहें.
स्टेप six कमर पर हाथ को रखें और धीरे धीरे वापस सामान्य स्थिति में लौट आएं.
विधि
पहले पीठ के बल भूमि पर लेट जाएँ.एड़ी-पंजे मिला लें.हाथों की हथेलियों को भूमि पर रखकर कोहनियों को कमर से सटाए रखें.अब श्वास को सुविधानुसार बाहर निकाल दें.फिर दोनों पैरों को एक-दूसरे से सटाते हुए पहले sixty फिर ninety डिग्री के कोण तक एक साथ धीरे-धीरे भूमि से ऊपर उठाते जाएँ।
घुटना सीधा रखते हुए पैर पूरे ऊपर ninety डिग्री के कोण में आकाश की ओर उठाएँ.फिर हथेलियों को भूमि पर दबाते हुए हथेलियों के सहारे पैरों को पीछे सिर की ओर झुकाते हुए पंजों को भूमि पर रख दें.अब दोनों हाथों के पंजों की संधि कर सिर से लगाए.फिर सिर को हथेलियों से थोड़-सा दबाएँ, जिससे आपके पैर और पीछे की ओर जाएँ।
इसे अपनी सुविधानुसार जितने समय तक रख सकते हैं रखें, फिर धीरे-धीरे इस स्थिति की अवधि को दो से पाँच मिनट तक बढ़ाएँ।