जिसके मन में त्याग के परिणाम नहीं आते, वह वस्तुओं का त्याग तो छोडों पाप का त्याग भी नहीं कर सकता है। यही जीव नरक गति में होते है, उसी को तुम भी करने लगे यही पाप है। उसमें जाओं मत यह संयम है। जीवन में अच्छे कर्म करोंगे, तो भविष्य भी अच्छा बीतेगा।