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ब्रह्मा, विष्णु, महेश का रूप है मां

 

ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना की, महेश पालनहार हैं, जबकि विष्णु ने संसार को संवारा परन्तु मां इन तीनों का रूप है जो न केवल मनुष्य को जन्म देती है, बल्कि बच्चे को पालने के साथ ही उसे संस्कार भी प्रदान करती है, इसलिए दुनिया में मां का स्थान कोई नहीं ले सकता।

 जो व्यक्ति बचपन में माता पिता के सामने घुटने टेकता है, उसे जीवन में किसी अन्य के सामने कभी घुटने टेकने नहीं पडते। हर इंसान को तीन व्यक्तियों की आवश्यकता होती है, बचपन में मां, जवानी में महात्मा और बुढापे में परमात्मा की, क्योंकि मां बच्चे को संवारती है, महात्मा बिगडने से बचाता है एवं परमात्मा मौत का भय दूर करता है।आज हर कोई बडा बनने का प्रयास करता है, लेकिन बडा वो है, जो बडे काम करता है, जिसका कर्म अच्छा है। जीवन में ऐसा कोई काम करें, कि दुनिया उन्हें आदर्श के रूप में देखे और प्रेरणा ले। उन्होंने बुरा करने वालों के लिए भी भले की सोचने एवं लाभ के लिए नहीं भला करने की कामना से काम करने का आह्वान किया।

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