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पूजा बिना दीपक के पूर्ण नहीं होती

 

दीपक, अग्नि, विधुत और सूर्य का अंश है, जो ऊर्जा, ऊष्मा ओर उजाले का स्रोत है। पूजा में भी दीपक का विशेष स्थान होता है, पूजा बिना दीपक के पूर्ण नहीं होती॥ 

शुभं करोतु कल्याणं आरोग्यं धनसंपदा । शत्रुबुद्धिविनाशाय दीपज्योतिर्नमोऽस्तु ते ।।
दीपज्योतिः परब्रह्म दीपज्योतिर्जनार्दनः । दीपो हरतु मे पापं दीपज्योतिर्नमोऽस्तु ते ।।
" हे दीपज्योति , आप हमारा शुभ करने वाली, कल्याण करने वाली, हमे आरोग्य और धनसंपदा देने वाली, शत्रु की बुद्धि का नाश करने वाली है। दीपज्योति, आपको नमस्कार, हे दीपज्योति, आप परब्रह्म है, जनार्दन है, आप हमारे पापों का नाश करती हो, आपको नमस्कार है ॥ "

दीपक जहाँ प्रकाशित है, वहाँ अंधेरा चला जाता है । जहाँ दीपक है वहाँ सुमति है, मांगल्य है, आरोग्य है, धन-संपदा है सर्वदा शुभ ही शुभ है वहाँ॥ दीपक को कभी फुँक से न बुझाये॥

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