ईश्वर एक विशाल पिंड है। जिसे ज्योति पिंड कहा जाता है। इस ज्योति पिंड में एक बार भगवान की इच्छा से ही विखंडन हुआ जिससे गृह तारे नक्षत्र व ब्रह्मांड बना। इसी से पूरी सृष्टि संचालित होती है।