एक दिन तो आपको इस दुनिया से जाना ही है कोई आज जायेगा कोई कल बस इतना सा अंतर है इसलिये प्रभु का भजन करना चाहिये।
सन्त जन कहते हैं कि बिना तप के कुछ भी प्राप्त नहीं होता है। जो तपता है वही चमकता है ।साधक को साधना निष्ठापूर्वक करना चाहिए।
बिना कुछ किये तो इस संसार मे पैसे भी प्रप्त नहीं होते ।उसके लिए भी श्रम करना पड़ता है तो फिर बिना भजन के भगवान कैसे मिल सकते हैं।
एक स्वांस छोड़े तो ही दूसरी स्वांस मिलती है ।प्रभु का चिंतन तो प्रारम्भिक अवस्था से ही करना चाहिए।क्योंकि यही ,जीवन में और जीवन के बाद भी साथ रहेगा ।