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चैत्र नवरात्रों के लिए विशेष बातें

 

शक्ति के उपासकों के लिए कामाख्या-मन्त्र की साधना अत्यन्त आवश्यक है। 
यह कामाख्या-मन्त्र  कल्प-वृक्ष के समान है। सभी साधकों को एक, दो या चार बार इसका साधना एक वर्ष मे अवश्य करना चाहिए।
इस मन्त्र की साधना में चक्रादि-शोधन या कलादि-शोधन की आवश्यकता नहीं है।
इसकी साधना से सभी विघ्न दूर होते हैं और शीघ्र ही सिद्धि प्राप्त होती है। सभी प्रकार की नकारात्मक असर दूर होकर... सकारात्मक शक्तियों की प्राप्ती होती है।

।। विनियोग ।।

ॐ अस्य कामाख्या-मन्त्रस्य श्री अक्षोभ्य ऋषि:, अनुष्टुप् छन्द: , श्री कामाख्या देवता, सर्व- सिद्धि-प्राप्त्यर्थे जपे विनियोग:।

।। ऋष्यादि-न्यास ।।

श्रीअक्षोभ्य-ऋषये नम: शिरसि,
अनुष्टुप्-छन्दसे नम: मुखे,
श्रीकामाख्या-देवतायै नम: हृदि,
सर्व- सिद्धि-प्राप्त्यर्थे जपे विनियोगाय नम: सर्वाङ्गे।

।। कर-न्यास ।।

त्रां अंगुष्ठाभ्यां नम:,
त्रीं तर्जनीभ्यां स्वाहा,
त्रूं मध्यमाभ्यां वषट्,
त्रैं अनामिकाभ्यां हुम्,
त्रीं कनिष्ठिकाभ्यां वौषट्,
त्र: करतल-कर-पृष्ठाभ्यां फट्।

।। अङ्ग-न्यास ।।

त्रां हृदयाय नम:,
त्रीं शिरसे स्वाहा,
त्रूं शिखायै वषट्,
त्रैं कवचाय हुम्,
त्रौं नेत्र-त्रयाय वौषट्,
त्र: अस्त्राय फट्।

कामाख्या देवी का ध्यान:-
उक्त प्रकार न्यासादि करने के बाद भगवती कामाख्या का निम्न प्रकार से ध्यान करना चाहिए-
भगवती कामाख्या लाल वस्त्र-धारिणी, द्वि-भूजा, सिन्दूर-तिलक लगाए हैं।भगवती कामाख्या निर्मल चन्द्र के समान उज्ज्वल एवं कमल के समान सुन्दर मुखवाली हैं।भगवती कामाख्या स्वर्णादि के बने मणि-माणिक्य से जटित आभूषणों से शोभित हैं। भगवती कामाख्या विविध रत्नों से शोभित सिंहासन पर बैठी हुई हैं। भगवती कामाख्या मन्द-मन्द मुस्करा रही हैं। भगवती कामाख्या उन्नत पयोधरोंवाली हैं। कृष्ण-वर्णा भगवती कामाख्या के बड़े-बड़े नेत्र हैं। भगवती कामाख्या विद्याओं द्वारा घिरी हुई हैं। डाकिनी-योगिनी द्वारा शोभायमान हैं। सुन्दर स्त्रियों से विभूषित हैं। विविध सुगन्धों से सु-वासित हैं। हाथों में ताम्बूल लिए नायिकाओं द्वारा सु-शोभिता हैं।भगवती कामाख्या समस्त सिंह-समूहों द्वारा वन्दिता हैं। भगवती कामाख्या त्रि-नेत्रा हैं। भगवती के अमृत-मय वचनों को सुनने के लिए उत्सुका सरस्वती और लक्ष्मी से युक्ता देवी कामाख्या समस्त गुणों से सम्पन्ना, असीम दया-मयी एवं मङ्गल- रूपिणी हैं।
उक्त प्रकार से ध्यान कर कामाख्या देवी की पूजा कर कामाख्या मन्त्र का 12 माला प्रतिदिन नौ-रात्रों तक नौ दिन में 108 माला ‘जप’ करना चाहिए।
जप के बाद निम्न प्रकार से प्रार्थना करनी चाहिए। तत्पश्चात दशमी के दिन योनि-आकार हवन कुंड बनाकर उसमें... जाप किये गये मंत्र संख्या का दशमांश हवन करना चाहिऐ।। कन्या-पूजन करना चाहिऐ।।

प्रतिदिन जाप के उपरांत ये प्रार्थना अवस्य करनी चाहिये।।
कामाख्ये काम-सम्पन्ने, कामेश्वरि! हर-प्रिये!
कामनां देहि मे नित्यं, कामेश्वरि! नमोऽस्तु ते।।
कामदे काम-रूपस्थे, सुभगे सुर-सेविते!
करोमि दर्शनं देव्या:, सर्व-कामार्थ-सिद्धये।।

अर्थात् हे कामाख्या देवि! कामना पूर्ण करनेवाली,कामना की अधिष्ठात्री, शिव की प्रिये! मुझे सदा शुभ कामनाएँ दो और मेरी कामनाओं को सिद्ध करो। हे कामना देनेवाली, कामना के रूप में ही स्थित रहनेवाली, सुन्दरी और देव-गणों से सेविता देवि! सभी कामनाओं की सिद्धि के लिए मैं आपके दर्शन करता हूँ।
कामाख्या देवी का २२ अक्षर का मन्त्र ‘कामाख्या तन्त्र’ के चतुर्थ पटल में कामाख्या देवी का २२ अक्षर का मन्त्र उल्लिखित है-

मंत्र:-

ll त्रीं त्रीं त्रीं हूँ हूँ स्त्रीं स्त्रीं कामाख्ये प्रसीद स्त्रीं स्त्रीं हूँ हूँ त्रीं त्रीं त्रीं स्वाहा ll

उक्त मन्त्र महा-पापों को नष्ट करनेवाला, धर्म-अर्थ-काम-मोक्ष देनेवाला है। इसके ‘जप’ से साधक साक्षात् शक्ती-स्वरूप बन जाता है। इस मन्त्र का स्मरण करते ही सभी विघ्न नष्ट हो जाते हैं और समस्त मनोरथ पूर्ण होने लगते हैं।इस मन्त्र के ऋष्यादि ‘त्र्यक्षर मन्त्र’ (त्रीं त्रीं त्रीं) के समान हैं। परंतु इस साधना को योग्य गुरू के मार्गदर्शन में करें तो उचित होगा।।

ध्यान
इस प्रकार किया जाता हैमैं योनि-रूपा भवानी का ध्यान करता हूँ, जो कलि-काल के पापों का नाश करती हैं और समस्त भोग-विलास के उल्लास से पूर्ण करती हैं।मैं अत्यन्त सुन्दर केशवाली, हँस-मुखी, त्रि-नेत्रा, सुन्दर कान्तिवाली, रेशमी वस्त्रों से प्रकाशमाना, अभय और वर-मुद्राओंसे युक्त, रत्न-जटित आभूषणों से भव्य, देव-वृक्ष केनीचे पीठ पर रत्न-जटित सिंहासन पर विराजमाना, ब्रह्मा-विष्णु-महेश द्वारा वन्दिता, बुद्धि-वृद्धि-स्वरूपा, काम-देव के मनो-मोहक बाण के समान अत्यन्तकमनीया, सभी कामनाओं को पूर्णकरनेवाली भवानी का भजन करता हूँ।
इस विधि से कामाख्या कवच यंत्र भी तैयार करके, धारण करने से सभी बिगड़े काम बन जाते हैं।।

धन प्राप्ति का उपाय

आज के समय में जिसके पास रुपए पैसे है अधिकतर उसके पास सब कुछ है क्योकि धन से ही सब कार्य सिद्ध होते है । उसका आचरण कर्म और शाँति ये अलग विषय है ।

अगर आपके पास धन नहीं है तो आपका जीवन नीरस है क्योकि धन से ही हर सुख सुविधा की चीजे आती है और तो और आपके रिश्तेदार भी आपको मान सम्मान भी देते है । अगर आपके पास धन नहीं है कार अच्छा घर आदि नहीं है तो तो मेरा यकीन मानिये साहब लोग आपसे बात करना भी पसंद नही करेंगे उन्हे लगेगा कही आप उनसे रुपए पैसे तो ना माँग लें । इसी बात को ध्यान में रखते हुये एक उपाय :- उसको करने से आपकी धन की समस्या समाप्त हो जायेगी

माँ लक्ष्मी की एक मूर्ति घर में ऐसी जगह पर लगाओ जहाँ पर आते जाते अर्थात घर से निकलते और घर में प्रवेश करते समय उस पर आपकी नज़र पड़े जैसे ही माँ की मूर्ति पर आपकी नज़र पड़े उसी समय आप उनको प्रणाम करों ऐसा करने से आपको कभी भी जीवन काल में धन की परेशानी नहीं होगी परँतु याद रहे आपको माँ की मूर्ति नहीं अपितु उनको घर का बड़ा सदस्य मानना है और प्रत्येक कार्य में उनको नमन भी करना है और नित्य माँ की मूर्ति पर दीपक देशी घी का दिखना है और एक माला   श्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै श्रीं श्रीं नम: का जाप करना है ।

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