प्रत्येक व्यक्ति सुख और आनंद चाहता है। परमपिता परमात्मा की प्राप्ति से ही इन्हें प्राप्त किया जा सकता है। परमात्मा ही जीवात्मा के लिए सुखदायक है।
मुक्ति प्राप्त किए बिना संसार में दुखों से नहीं जीता जा सकता है। भौतिक पदार्थ हमें सुख तो दे सकते हैं, मगर शाश्वत आनंद नहीं दे सकते। परमात्मा की उपासना न करना ही दुखों का कारण है।