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भगवान का भजन

 

हम जो भगवान का भजन करते हैं, इसमें सबसे महत्वपूर्ण है कि किसी ऐसे भक्त का संग, किसी उच्च कोटि के महात्मा का जीवन में मार्ग-दर्शन्। किसी ऐसे व्यक्ति का संग जो स्वयं मुक्त अवस्था में हो, जिसकी आत्मा की वृत्ति जाग्रत हो गयी हो क्योंकि भगवद भजन का मतलब  होता है आत्म-ज्ञान, स्वरुप की वृत्ति का जाग्रत होना। 
असली भगवद्-भजन का मतलब आत्मा का परमात्मा की सेवा में तल्लीन होना है। शास्त्रीय भाषा में इसे कहते हैं ब्रह्मनिष्ठम् अर्थात् परब्रह्म भगवान की परिचर्या में परिनिष्ठित होना। भगवान श्री कृष्ण की सेवा में अपने आप को पूरी तरह से नियोजित करना। उनकी प्रसन्नता के लिए ही कार्य करना। इसे ही भजन कहते हैं। 
  
भजन कोई बाहरी शरीरिक या मानसिक क्रियाएं नहीं हैं। भगवान का भजन होता है जहां आत्मा व भगवान की वार्ता होती है। श्रीकृष्ण पूरी तरह से इस जीवात्मा की सेवायों से प्रसन्न हों या ये जीवातमा पूरी तरह से श्रीकृष्ण की सेवाओं में नियोजित हो और जब तक आत्म स्वरूप जाग्रत नहीं होगा तब तक भगवान की कैसे सेवा होगी? 

यह जाग्रत होती है उस महात्मा के संग से जिसकी स्वयं की आत्मवृत्ति जाग्रत हो जैसे सभी लोग सो रहे हैं। अब उन्हें कौन जगायेगा? वही जगायेगा जो स्वयं जगा होगा। 
इसी प्रकार भजन के लिये महत्वपूर्ण है की हम उसका संग करें जिसकी आत्मा की वृत्ति जाग्रत हो। उसके आनुगत्य से, उसके संग से आत्मा की वृत्ति जाग्रत होगी। आत्मा की वृत्ति के जाग्रत होना ही, भगवन भजन की, भगवान की दिव्य सेवा की ओर पहला कदम है।

केवल भगवत भजन ही आत्मा को सरूप और जाग्रति का दर्शन करा सकती है |

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Posted Comments
 
" जीवन में उतारने वाली जानकारी देने के लिए धन्यवाद । कई लोग तो इस संबंध में कुछ जानते ही नहीं है । ऐसे लोगों के लिए यह अत्यन्त शिक्षा प्रद जानकारी है ।"
Posted By:  संतोष ठाकुर
 
"om namh shivay..."
Posted By:  krishna
 
"guruji mein shri balaji ki pooja karta hun krishna muje pyare lagte lekin fir mein kahi se ya mandir mein jata hun to lagta hai har bhagwan ko importance do aur ap muje mandir aur gar ki poja bidi bataye aur nakartmak vichar god ke parti na aaye"
Posted By:  vikaskrishnadas
 
"वास्तु टिप्स बताएँ ? "
Posted By:  VAKEEL TAMRE
 
""jai maa laxmiji""
Posted By:  Tribhuwan Agrasen
 
"यह बात बिल्कुल सत्य है कि जब तक हम अपने मन को निर्मल एवँ पबित्र नही करते तब तक कोई भी उपदेश ब्यर्थ है"
Posted By:  ओम प्रकाश तिवारी
 
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