पितॄणां भानुना दत्ता पुण्या पञ्चदशी सदा ।
पितरः स्वदिने दिण्डे दृष्टाः कुर्वन्ति सर्वदा ।
प्रजावृद्धिं धनं रक्षां चायुष्यं बलमेव च ।।
उपवासं विनाप्येते भवन्त्युक्तफलप्रदाः ।
पूजया जपहोमैश्च तोषिता भक्तितः सदा ।।
भविष्यपुराण, ब्रा०प० १०२/१५,३४,३५
सूर्य के द्वारा पितरों को पवित्र पुण्यशाली अमावस्या तिथि दी है । अमावस्या में पितृगण पूजित होने पर सदैव प्रसन्न होकर प्रजावृद्धि, धन-रक्षा, आयु तथा बल-शक्ति प्रदान करते हैं। उपवास के बिना भी यह पितृगण उक्त फल को देने वाले होते हैं। अतः मानव को चाहिए कि पितरों की भक्ति पूर्वक पूजा के द्वारा सदा प्रसन्न रखे ।