मुक्ति प्रदाता मां जगदंबिका भवानी का आशीर्वाद अमोघ होता है। उनकी कृपा से दुख-दर्द व शोक-संकट समाप्त हो जाते हैं। साथ ही साधक परमधाम का अधिकारी हो जाता है।
अयोध्या नरेश धु्रव संधि के पुत्र सुदर्शन के मन में मां जगदंबा के प्रति अटूट श्रद्धा थी। उनका जप करने से वह सभी विद्याओं में पारंगत हो गया। काशी नरेश की कन्या शशिकला के मन में उस सर्वगुण संपन्न युवक को पति रूप में पाने की इच्छा प्रबल हुई लेकिन यह दुष्कर था। अनन्य भक्त शशिकला की श्रद्धा भक्ति से प्रसन्न देवी दुर्गा ने उसकी मनोकामना पूरी की। दोनों सात जनम के बंधन में बंध गए।