राम ज्ञान के प्रतीक हैं और सीता भक्ति कीप्रतीक हैं। शिव धनुष अहंकार का प्रतीक है। अहंकार का धनुष टूटने के बाद ही मनुष्य के जीवन में ज्ञान और भक्ति का मिलन होता है, तभी जीव भव सागर से पार हो सकता है।
ज्ञान के बिना भक्ति अंधी है और भक्ति के बिना ज्ञान पंगु है। ये दोनों मिले, तब जीव का कल्याण होता है।
भगवानराम ने गुरु विश्वामित्र की कृपा से शिव धनुष तोडा। अहंकार का धनुष गुरु कृपा से टूटता है।