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श्री कृष्ण की महारासलीला

 

भगवान् शिव से बड़ा कोई श्री विष्णु का भक्त नहीं
और भगवान् विष्णु से बड़ा कोई श्री शिव का भक्त नहीं है ! इसलिए भगवान् शिव सबसे बड़े वैष्णव और भगवान विष्णु सबसे बड़े शैव कहलाते हैं !

9 साल के छोटे बाल रूप में जब श्री कृष्ण ने महा रास का उद्घोष किया वृन्दावन में तो पूरे ब्रह्माण्ड के तपस्वी प्राणियों में भयंकर हल चल मच गयी की काश हमें भी इस महा रास में शामिल होने का मौका मिल जाय !
दूर दूर से गोपियाँ जो की पूर्व जन्म में एक से बढ़कर एक ऋषि, मुनि, तपस्वी, योगी, भक्त थीं, महा रास में शामिल होने के लिए आतुरता से दौड़ी आयीं !
महा रास में शामिल होने वालों की योग्यता को परखने की जिम्मेदारी थी श्री ललिता सखी की, जो स्वयं श्री राधा जी की प्राण प्रिय सखी थीं और उन्ही की स्वरूपा भी थीं !
हमेशा एकान्त में रहकर कठोर तपस्या करने वाले भगवान् शिव को जब पता चला की श्री कृष्ण महा रास शुरू करने जा रहें हैं तो वो भी अत्यन्त खुश होकर, तुरन्त अपनी तपस्या छोड़, पहुंचे श्री वृन्दावन धाम और बड़े आराम से सभी गोपियों के साथ रास स्थल में प्रवेश करने लगे !
पर द्वार पर ही उन्हें श्री ललिता सखी ने रोक दिया और बोला की हे महा प्रभु, रास में सम्मिलित होने के लिए स्त्रीत्व जरूरी है ! तो भोलेनाथ ने तुरन्त कहा की ठीक है तो हमें स्त्री बना दो !
तब ललिता सखी ने भोले नाथ का गोपी वेश में श्रृंगार किया और उनके कान में श्री राधा कृष्ण के युगल मन्त्र की दीक्षा दी !
चूँकि भोलेनाथ के सिर की जटा और दाढ़ी मूंछ बड़ी बड़ी थी इसलिए ललिता सखी ने उनके सिर पर बड़ा सा घूँघट डाल दिया जिससे किसी को उनकी दाढ़ी मूंछ दिखायी न दे !
महा देव के अति बलिष्ठ और बेहद लम्बी चौड़ी शरीर की वजह से वो सब गोपियों से एकदम अलग और विचित्र गोपी लग रहे थे जिसकी वजह से हर गोपी उनको बड़े आश्चर्य से देख रही थी !
महा देव को लगा की कहीं श्री कृष्ण उन्हें पहचान ना लें इसलिए वो सारी गोपियों की भीड़ में सबसे पीछे जा कर खड़े हो गए !
अब श्री कृष्ण भी ठहरे मजाकिया स्वाभाव के और उन्हें पता तो चल ही चुका था की स्वयं भोले भण्डारी यहाँ पधार चुके हैं तब उन्होंने विनोद लेने के लिए कहा कि, महा रास सबसे पीछे से शुरू की जायेगी !
इतना सुनते ही भोले नाथ घबराये और घूँघट में ही दौड़ते दौड़ते सबसे आगे आकर खड़े हो गए पर जैसे ही वो आगे आये वैसे ही श्री कृष्ण ने कहा की अब महा रास सबसे आगे से शुरू होगा ! तब महा देव फिर दौड़ कर पीछे पहुचें तो श्री कृष्ण ने फिर कहा रास पीछे से शुरू होगा तब महादेव फिर दौड़ कर आगे आये ! इस तरह कुछ देर तक चलता रहा और बाकी की सारी करोड़ो गोपियाँ खाली आश्चर्य से खड़े होकर श्री कृष्ण और श्री महादेव के बीच की लीला देख रही थी और ये सोच रही थी की ये कौन सी गोपी है जो डील डौल से तो भारी भरकम है पर बार बार गजब शर्मा कर कभी आगे भाग रही है तो कभी पीछे, और जैसे लग रहा है श्री कृष्ण भी इसको जानबूझकर हैरान करने के लिए बार बार आगे पीछे का नाम ले रहें हों !
कुछ देर बाद श्री कृष्ण ने कहा कि महा रास सबसे पहले इस चंचल गोपी से शुरू होगा जो स्थिर बैठ ही नहीं रही है और यह कहकर श्री कृष्ण ने भोले नाथ का घूंघट हटा दिया और आनन्द से उद्घोष किया, आओ गोपेश्वर महादेव ! आपका महा स्वागत है इस महा रास में
और उसके बाद जो महा उत्सव हुआ की ऋषि महर्षि भी हाथ जोड़कर कहते हैं, नेति नेति ! अर्थात इस महा रास के महा सुख को शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता है !
तब से भगवान् शिव गोपेश्वर रूप में ही साक्षात् निवास करते हैं, वृन्दावन के गोपेश्वर महादेव मन्दिर में जहाँ उनका रोज शाम को गोपी रूप में श्रृंगार किया जाता है नित्य रास के लिए !
जब भी वृन्दावन जाईये श्री गोपेश्वर महादेव का जरूर दर्शन करिए !
श्री गोपेश्वर महादेव का दर्शन और इनकी इस कथा का चिन्तन करने से श्री कृष्ण की भक्ति में प्रगाढ़ता आती है और इस कलियुग में भक्ति ही वो सबसे आसान तरीका है जो इस लोक के साथ परलोक में भी सुख प्रदान करती हैं !

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Posted Comments
 
" जीवन में उतारने वाली जानकारी देने के लिए धन्यवाद । कई लोग तो इस संबंध में कुछ जानते ही नहीं है । ऐसे लोगों के लिए यह अत्यन्त शिक्षा प्रद जानकारी है ।"
Posted By:  संतोष ठाकुर
 
"om namh shivay..."
Posted By:  krishna
 
"guruji mein shri balaji ki pooja karta hun krishna muje pyare lagte lekin fir mein kahi se ya mandir mein jata hun to lagta hai har bhagwan ko importance do aur ap muje mandir aur gar ki poja bidi bataye aur nakartmak vichar god ke parti na aaye"
Posted By:  vikaskrishnadas
 
"वास्तु टिप्स बताएँ ? "
Posted By:  VAKEEL TAMRE
 
""jai maa laxmiji""
Posted By:  Tribhuwan Agrasen
 
"यह बात बिल्कुल सत्य है कि जब तक हम अपने मन को निर्मल एवँ पबित्र नही करते तब तक कोई भी उपदेश ब्यर्थ है"
Posted By:  ओम प्रकाश तिवारी
 
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