अविरल गंगा को लेकर अखाड़ा परिषद गंभीर-
इलाहाबाद। अविरल और निर्मल गंगा की लडाई में अखाडा परिषद भी कूद गया है। महाकुंभ से पहले गंगा को अविरल बनाने पर अखाडा परिषद अडिग है। वह प्रयाग के मेला में गंगा में स्नान के लिए पर्याप्त जल चाहता है। अगर पर्याप्त जल न मिला तो अखाडा परिषद मेला बहिष्कार का निर्णय भी ले सकता है। फिलहाल परिषद के पदाधिकारी उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री से मुलाकात करने वाले हैं। इसमें महाकुंभ के मद्देनजर अविरल व निर्मल गंगा की मांग उठाई जाएगी। प्रयाग में जनवरी माह में महाकुंभ का आयोजन होगा। इसमें देश-विदेश के हजारों संत-महात्माओं के साथ लाखों श्रद्धालु आएंगे। इसमें 13 अखाडों की भूमिका अहम होती है। मेला प्रशासन को अखाडा परिषद के पदाधिकारियों के साथ मिलकर प्रमुख स्नान पर्व व मेला से जुडी तैयारी करनी होती है। इसमें निर्मल गंगा का मुद्दा अहम होता है, परंतु मेला प्रशासन की बैठक अभी शुरू नहीं हो पाई है। अखाडा परिषद के अध्यक्ष महंत बलवंत सिंह का कहना है कि महाकुंभ गंगा की वजह से लगता है, अगर हमे गंगा ही नहीं मिलेंगी तो मेला में शामिल होने का औचित्य नहीं है। अप्रैल के अंत में होगी बैठक- गंगा मुद्दे को लेकर अप्रैल माह के अंत में अखाडा परिषद की बैठक होगी। प्रयाग में होने वाली इस बैठक में 13 अखाडों के प्रमुख पदाधिकारी शामिल होंगे। इसमें गंगा की अविरलता को लेकर चर्चा करने के साथ आगे की रणनीति बनाई जाएगी। मठबाघंबरी गद्दी के महंत नरेंद्र गिरि ने बताया कि बैठक में बनी रणनीति के आधार पर ही आगे कार्य किया जाएगा।