दीवाली के दिन की विशेषता लक्ष्मी जी के पूजन से संबन्धित है. इस दिन हर घर, परिवार, कार्यालय में लक्ष्मी जी के पूजन के रुप में उनका स्वागत किया जाता है. दीवाली के दिन जहां गृहस्थ और वाणिज्य वर्ग के लोग धन की देवी लक्ष्मी से समृद्धि और वित्तकोष की कामना करते हैं, वहीं साधु-संत और तांत्रिक कुछ विशेष सिद्धियां अर्जित करने के लिए रात्रिकाल में अपने तांत्रिक कर्म करते हैं.
पूजा की सामग्री
लक्ष्मी व श्री गणेश की मूर्तियां (बैठी हुई मुद्रा में). केशर, रोली, चावल, पान, सुपारी, बताशे, सिंदूर, शहद, सिक्के, फल, फूल, दूध, खील, लौंग. सूखे, मेवे, मिठाई, दही, गंगाजल, धूप, अगरबत्ती,11 दीपक. रूई तथा कलावा नारियल और तांबे का कलश चाहिए.
कैसे करें दीपावली पूजन की तैयारी
एक थाल में या भूमि को शुद्ध करके नवग्रह बनायें या नवग्रह यंत्र की स्थापना करें. इसके साथ ही एक ताम्बें का कलश बनाएं, जिसमें गंगाजल, दूध, दही, शहद, सुपारी, सिक्के और लौंग आदि डालकर उसे लाल कपडे से ढक कर एक कच्चा नारियल कलावे से बांध कर रख दें. जहां पर नवग्रह यंत्र बनाया गया है. वहां पर रुपया, सोना या चांदी का सिक्का, लक्ष्मी जी की मूर्ति या मिट्टी के बने हुए, लक्ष्मी - गणेश सरस्वती जी या ब्रह्मा, विष्णु, महेश और अन्य देवी देवताओं की मूर्तियां या चित्र सजायें. कोई धातु की मूर्ति हो तो उसे साक्षात रुप मानकर दूध, दही ओर गंगाजल से स्नान कराकर अक्षत, चंदन का श्रंगार करके फूल आदि से सजाएं. इसके ही दाहिने और एक पंचमुखी दीपक अवश्य जलायें, जिसमें घी या तिल का तेल प्रयोग किया जाता है.
लक्ष्मी पूजन विधि
आप हाथ में अक्षत, पुष्प और जल ले लीजिए. कुछ द्रव्य भी ले लीजिए. द्रव्य का अर्थ है कुछ धन. यह सब हाथ में लेकर संकसंकल्प मंत्र को बोलते हुए संकल्प कीजिए कि मैं अमुक व्यक्ति अमुक स्थान व समय पर अमुक देवी-देवता की पूजा करने जा रहा हूं जिससे मुझे शास्त्रोक्त फल प्राप्त हो. सबसे पहले गणेश जी व गौरी का पूजन कीजिए. हाथ में थोड़ा-सा जल ले लीजिए और आह्वाहन व पूजन मंत्र (ऊँ दीपावल्यै नम:) बोलिए और पूजा सामग्री चढ़ाइए. हाथ में अक्षत और पुष्प ले लीजिए और नवग्रह स्तोत्र बोलिए. अंत में महालक्ष्मी जी की आरती के साथ पूजा का समापन किजिये.
बही खातों का पूजन
बही खातों का पूजन करने के लिए पूजा मुहुर्त समय अवधि में नवीन बहियों व खाता पुस्तकों पर केसर युक्त चंदन से अथवा लाल कुमकुम से स्वास्तिक का चिन्ह बनाना चाहिए. इसके बाद इनके ऊपर "श्री गणेशाय नम:" लिखना चाहिए. इसके साथ ही एक नई थैली लेकर उसमें हल्दी की पांच गांठे, कमलगट्ठा, अक्षत, दुर्गा, धनिया व दक्षिणा रखकर, थैली में भी स्वास्तिक का चिन्ह लगाकर सरस्वती मां का स्मरण करना चाहिए. इसके साथ ही निम्न मंत्र का 108 बार जाप करना चाहिए.
या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता,या वीणावरदण्डण्डितकरा या श्वेतपद्मासना।,या ब्रह्माच्युतशंकरप्रभृतिभि र्देवै: सदा वन्दिता,सा मां पातु सरस्वती भगवती नि:शेषजाड्यापहा।। ऊँ वीणापुस्तकधारिण्यै श्रीसरस्वत्यै नम:
मंत्र जाप करने के बाद मां सरस्वती का ध्यान करें. जो अपने कर कमलों में घटा, शूल, हल, शंख, मूसल, चक्र, धनुष और बाण धारण करती है, चन्द्र के समान जिनकी मनोहर कांति है. जो शुंभ आदि दैत्यों का नाश करने वाली है. वाणी बीज जिनका स्वरुप है, तथा जो सच्चिदानन्दमय विग्रह से संपन्न हैं, उन भगवती महासरस्वती का मैं ध्यान करता हूं. ध्यान करने के बाद बही खातों का गंध, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्ध से पूजन करना चाहिए व निम्न मंत्र बोलें, जहां पर नवग्रह यंत्र बनाया गया है. वहां पर रुपया, सोना या चांदी का सिक्का, लक्ष्मी जी की मूर्ति या मिट्टी के बने हुए, लक्ष्मी - गणेश सरस्वती जी या ब्रह्मा, विष्णु, महेश और अन्य देवी देवताओं की मूर्तियां या चित्र सजायें. कोई धातु की मूर्ति हो तो उसे साक्षात रुप मानकर दूध, दही ओर गंगाजल से स्नान कराकर अक्षत, चंदन का श्रंगार करके फूल आदि से सजाएं. इसके ही दाहिने और एक पंचमुखी दीपक अवश्य जलायें, जिसमें घी या तिल का तेल प्रयोग किया जाता है. " ऊँ वीणा पुस्तक धारिणी सरस्वती" आपको नमस्कार हैं.
कुबेर पूजन विधि
कुबेर पूजन करने के लिये प्रदोष काल व निशिथ काल को लिया जा सकता है. ऊपर दिये गये शुभ समय में कुबेर पूजन करना लाभकारी रहेंगा. कुबेर पूजन करने के लिये सबसे पहले तिजोरी अथवा धन रखने के संदुक पर स्वास्तिक का चिन्ह बनायें, और कुबेर का आह्वान करें. आह्वान के लिये निम्न मंत्र बोलें. आवाहयामि देव त्वामिहायाहि कृपां कुरु। कोशं वद्र्धय नित्यं त्वं परिरक्ष सुरेश्वर।।
आह्वान करने के बाद ऊँ कुबेराय नम: इस मंत्र को 108 बार बोलते हुए धन संदूक कि गंध, पुष्प आदि से पूजन करना चाहिए. साथ ही निम्न मंत्र बोलते हुए कुबेर देव से प्रार्थना करें.
धनदाय नमस्तुभ्यं निधिपद्माधिपाय च। भगवान् त्वत्प्रसादेन धनधान्यादिसम्पद:।।
इस प्रकार प्रार्थनाकर पूर्व पूजित हल्दी, धनिया, कमलगट्टा, द्रव्य, दूर्वादि से युक्त थैली तिजोरी मे रखें.