यह व्रत कार्तिक कृष्णकी चन्द्रोदयव्यापिनी चतुर्थीको किया जाता है । इस व्रतमें शिव-पार्वती और स्वामीकार्तिकेय और चन्द्रमाका पूजन करना चाहिये।
व्रत संकल्प (Sankalp) – ‘मम सुखसौभाग्यपुत्रपोत्रादिसुस्थिरश्रीप्राप्तये करकचतुर्थीव्रतमहं करिष्ये।’
विधान (Vidhi)
एक पट्टे पर जलसे भरा लोटा एवं एक करवे में गेहूं भरकर रखते हैं। दीवार पर या कागज पर चन्द्रमा उसके नीचे शिव-पार्वती तथा कार्तिकेयकी चित्रावली बनाकर पूजा की जाती है । कथा सुनते हैं। इस दिन निर्जल व्रत किया जाता है । चन्द्रमा को देखकर अर्घ्य देते हैं फिर भोजन करते हैं।
करवा चौथ का उजमन (Ujman)
उजमन करने के लिये एक थाली में तेरह जगह चार-चार पूडी और थोडा-सा सीरा रख लें। उसके ऊपर एक साडी ब्लाउज और रुपये जितना चाहिये रख लें उस थाली के चारों ओर रोली, चावल से हाथ फेर कर अपनी सासू जी के पांव लगकर उन्हें दे देवें।
उसके बाद तेरह ब्राह्मणों को भोजन करावें और दक्षिणा देकर तथा बिन्दी (तिलक) लगाकर उन्हें विदा करें ।